भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के तेलशोधक अमेरिका से प्रतिबंधों में ढील मिलने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे वेनेजुएला से तेल खरीदा जा सके, वहीं उन्होंने ‘सेकंड ऑर्डर ट्रांजैक्शन’ से तेल खरीदना शुरू कर दिया है, जिन्हें पहले से ही छूट मिली हुई है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
प्रतिबंध से प्रभावित देशों से सीधे कच्चा तेल खरीदने से भारत अभी बच रहा है, वहीं तीसरे पक्ष के माध्यम से खरीदने की अनुमति है। मीडिया में आई खबरों में जुलाई में कहा गया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने दक्षिण अमेरिका के देशों से तेल आयात करने के लिए अमेरिकी प्राधिकारियों से मंजूरी ले ली है।
बहरहाल सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने सिर्फ हाल में ही वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है, और संकेत दिया है कि भारतीय रिफाइनर अन्य वैश्विक विक्रेताओं से कॉर्गो खरीद रहे हैं। बहरहाल वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि वेनेजुएला वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत के लिए कच्चे तेल का 9वां बड़ा स्रोत बन गया है, जहां से 62.6 करोड़ डॉलर का कच्चा तेल आया है।
वित्त वर्ष 2024 के 12 महीनों में वेनेजुएला 16वां बड़ा स्रोत था, जिसने 80.2 करोड़ डॉलर का कच्चा तेल भेजा। मासिक आधार पर देखें तो लंबे अंतराल के बाद वहां से आयात दिसंबर 2023 में शुरू हुआ। मार्च 2024 में यह 38.3 करोड़ डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया।
सार्वजनिक क्षेत्र के तेलशोधक इस उम्मीद में हैं कि ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को अमेरिकी विदेश विभाग विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) से छूट मिल जाएगी और उसे प्रतिबंधों से मुक्ति मिलेगी। ऐसा होने पर ओवीएल, अमेरिकी इकाइयों व डॉलर का उपयोग कर वेनेजुएला में काम कर सकेगी। सरकारी अन्वेषण और उत्पादन कंपनी ओएनजीसी की विदेश इकाई का इस समय 60 करोड़ डॉलर का लाभांश स्थानीय संपत्तियों में फंसा हुआ है।
ओवीएल ने वेनेजुएला में सैन क्रिटोबाल फील्ड में 2008 में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी ली थी, जिसमें शेष हिस्सेदारी वेनेजुएला की सरकारी कंपनी पीडीवीएसए होल्डिंग की है। एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘एक बार अगर ओवीएल को छूट मिल जाती है तो उससे सरकारी रिफाइनरों को कच्चा तेल मिलने लगेगा।’
उन्होंने जोर दिया कि वेनेजुएला के कच्चे तेल, जिसे ‘गंदा’ या निम्न श्रेणी का कच्चा तेल माना जाता है, के प्रति भारत की रुचि सीमित बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘भारत की कुछ रिफाइनरी ही वेनेजुएला के अलग ग्रेड के तेल का प्रसंस्करण कर सकती हैं। यह आमतौर पर भारी और विस्कस होता है, जिसमें सल्फर की मात्रा अधिक होती है। अकेले यह बहुत कम इस्तेमाल होता है और ज्यादातर इसे मिलाकर ही प्रयोग करते हैं।’
उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि सरकारी कंपनी आईओसीएल की ओडिशा स्थित पारादीप रिफाइनरी में इस तरह की सुविधा है और संभवतः उसे तेल के कुछ कार्गो मिले होंगे।
हालांकि भारत के रिफाइनर छूट मिलने के कारण वेनेजुएला का कच्चा तेल आजमाने के इच्छुक हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान विदेशी मुद्रा हासिल करने की जरूरत को देखते हुए यह पर्याप्त रहा है। अगस्त 2024 में वेनेजुएला के तेल की कीमत औसतन 62.15 डॉलर प्रति बैरल थी, जो इसके पहले महीने के 67.61 डॉलर प्रति बैरल से कम है।
निकोलस माजुरो की समाजवादी सरकार की सत्ता में वापसी के बाद अमेरिका ने 2018 में वेनेजुएला के तेल क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन छूटों में अक्टूबर 2023 में ढील दी गई, लेकिन इस साल अप्रैल में फिर प्रतिबंध लगा दिया गया। बहरहाल अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिका की कंपनियों को अपवादस्वरूप वेनेजुएला में कामकाज जारी रखने का प्रावधान कर रखा है।