नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) में उत्तर प्रदेश सरकार के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया ने शुक्रवार को यहां कहा कि प्रस्तावित नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उत्तर और दक्षिण हिस्से में अतिरिक्त 3,418 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण अगले 6 महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
ज्यूरिख एयरपोर्ट नियंत्रित एनआईएएल मौजूदा समय में 1,334 हेक्टेयर में विकसित किया जा रहा है। यह भूखंड 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उसे पट्टे पर दिया गया था। यह 1,334 हेक्टेयर भूमि चार चरणों में विकसित की जाएगी। इसमें दो रनवे होंगे। इस भूखंड की खरीद लागत 4,326 करोड़ रुपये थी। इस निर्माण का पहला चरण इस साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है। पहली वाणिज्यिक उड़ान 2024 में शुरू किए जाने की संभावना है।
उन्होंने विंग्स इंडिया समिट 2024 में बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अतिरिक्त 1,365 हेक्टेयर भूमि परियोजना स्थल के उत्तरी क्षेत्र में खरीदारी जा रही है। दक्षिणी हिस्से में, हम 2,053 हेक्टेयर भूमि खरीद रहे हैं।’ विमानन संबंधित सेवाओं के लिए तीन और रनवे तथा हब बनाने के लिए 3,418 हेक्टेयर भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि उत्तरी हिस्से में 1,365 हेक्टेयर भूमि की खरीदारी जल्द पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने 90 प्रतिशत किसानों को भूमि के बदले मुआवजे का वितरण कर दिया है। हम अगले एक महीने में इस भूमि पर कब्जा हासिल कर लेंगे।’
अतिरिक्त भूमि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भविष्य में हवाई अड्डे के विस्तार के लिए खरीदी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘उत्तरी हिस्से के भूखंड पर एक और रनवे बनाया जाएगा तथा दो रनवे का निर्माण परियेजना के दक्षिणी भाग पर किया जाएगा। इसलिए, हवाई अड्डे में कुल पांच रनवे होंगे।’
उत्तर और दक्षिण भूखंड के लिए एक अलग आरएफक्यू (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) तैयार किया जाएगा। मौजूदा समय में हम रॉयल्टी पर बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘विमानन तंत्र तैयार करने के लिए हमें और भूमि की जरूरत है। यही वजह है कि मौजूदा समय में भूमि खरीद पर ध्यान दिया जा रहा है। हवाई अड्डा चालू होने पर भूमि खरीदना मुश्किल हो जाएगा। इसी को ध्यान में रखते हुए हम अभी से भूमि खरीद रहे हैं।’
नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) के मुख्य कार्याधिकारी क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने शुक्रवार को बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस नए हवाई अड्डे पर अधिकांश यात्रियों को सुरक्षा जांच के दौरान अपने हैंड बैग से इलेक्ट्रॉनिक सामान और तरल पदार्थ बाहर नहीं निकालने पड़ेंगे क्योंकि हवाई अड्डे के अधिकांश सुरक्षा लेंस में उन्नत सीटी एक्स-रे मशीनें लगाई गई हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम सिक्युरिटी लेंस में हैंड बैग की जांच के लिए नई सुरक्षा जांच तकनीक मुहैया कराने में सक्षम होंगे। हमारे पास ऐसी कम्यूटर टेमोग्राफी (सीटी) एक्स-रे मशीन हैं, जिनके कारण यात्रियों को जांच के दौरान अपने इलेक्ट्रॉनिक और तरल पदार्थ बाहर नहीं निकालने होंगे।’
अधिकांश भारतीय हवाई अड्डों में मौजूद तकनीक दो एक्स-रे लेती है – एक ऊपर से और एक बगल से। इसलिए, यात्रियों को अपने इलेक्ट्रॉनिक और तरल सामान को एक अलग ट्रे में निकालने के लिए कहा जाता है। हालांकि सीटी एक्स-रे मशीनें 3डी पिक्चर लेती हैं, इसलिए यह उपयोगी है।
(साथ में बीएस संवाददाता)