गो फर्स्ट मामले में एक मंत्री ने कहा है कि इंजनों की आपूर्ति से संबधित समस्या दूर किए बगैर इस एयरलाइन को राहत पैकेज जाने की संभावना नहीं है।
इस एयरलाइन ने अपने 54 एयरबस ए320 नियो (Airbus A320neos) विमानों को परिचालन से दूर रखने के लिए त्रुटिपूर्ण प्रैट ऐंड व्हिटनी इंजनों का कारण बताते हुए पिछले सप्ताह दिवालियापन संबंधित सुरक्षा के लिए आवेदन किया था। करीब दो दशकों से परिचालन करने वाली गो फर्स्ट वर्ष 2019 के बाद बंद होने वाली प्रमुख भारतीय एयरलाइन है। इससे पहले जेट एयरवेज पर संकट पैदा हो गया था।
भारत के उप विमानन मंत्री वी के सिंह ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि सरकार एयरलाइन में इंजन संबंधित समस्याएं सुलझाने के लिए अमेरिकी कंपनी प्रैट ऐंड व्हिटनी (Pratt & Whitney) के साथ बातचीत कर चुकी है।
सिंह ने सोमवार को कहा था, ‘गो एयर के साथ समस्या यह है कि उसकी उड़ानें प्रैट ऐंड व्हिटनी के इंजनों से जुड़ी हुई हैं। प्रैट ऐंड व्हिटनी कोविड-19 के बाद से ही प्रबंधन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इंजन निर्माण उस तेजी के साथ अभी नहीं हो रहा है, जैसा होना चाहिए।’
रेथियोन टेक्नोलॉजीज (Raytheon Technologies) की इकाई प्रैट ऐंड व्हिटनी ने मंत्री की टिप्पणियों पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उसने शुरू में एक मध्यस्थ को बताया था कि त्रुटिपूर्ण इंजनों की वजह से परिचालन को नुकसान पहुंचने का एयरलाइन का दावा गलत है और इसका कोई प्रमाण नहीं है।
सरकारी राहत की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘राहत पैकेज कैसे दिया जा सकता है। प्रैट ऐंड व्हिटनी के पास इंजन कहां से आएंगे? राहत पैकेज तभी दिया जा सकता है जब इस समस्या के बारे में कुछ किया जा सकेगा।’ सरकार सबसे पहले यात्रियों के हितों पर ध्यान दे रही है, क्योंकि विमानन नियामक ने सोमवार को गो फर्स्ट को नए टिकट की बिक्री बंद करने का नोटिस भेजा था।
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गो फर्स्ट की बाजार भागीदारी घटकर मार्च के अंत में 7.8 प्रतिशत रह गई, जो 2022 में 8.8 प्रतिशत थी। एक सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को रॉयटर्स को बताया कि एयरलाइन को रद्द हुई उड़ानों के लिए यात्रियों का पैसा लौटाने का भी निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने अभी तक कोई राहत पैकेज देने का निर्णय नहीं लिया है।’ भले ही भारत के बढ़ते विमानन उद्योग में कोविड-19 महामारी के बाद फिर से तेजी आई है, लेकिन गो फर्स्ट को इंडिगो तथा एयर इंडिया एवं विस्तारा के विलय की घोषणा के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
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सोमवार को गो फर्स्ट ने दिवालियापन सुरक्षा के लिए भारत के कंपनी विधि पंचाट (NCLT) में आवेदन किया, क्योंकि कई पट्टेदारों ने अपने विमान मांगे हैं।
राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) गो फर्स्ट के दिवालिया मामले में बुधवार को अपना आदेश सुनाएगा।
खबरों के अनुसार, स्काई हाई एक्ससीवी लीजिंग कंपनी (Sky High XCV Leasing Company), एसीजी एयरक्राफ्ट लीजिंग (ACG Aircraft Leasing), एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स (SFV Aircraft Holdings) समेत कई लीजिंग कंपनियों ने अपने कम से कम 13 विमान वापस पाने के लिए नियामक को अनुरोध सौंपे हैं।
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स्पाइसजेट के पट्टेदारों ने भी मंगलवार को कम से कम चार विमानों से संबंधित पट्टा समझौता समाप्त किए जाने के लिए विमानन नियामक को अनुरोध सौंपे हैं।