सैकड़ों उड़ानें रद्द करते हुए दिवालिया समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन करने वाली निजी विमानन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) का नोटिस मिल गया है। पिछले कुछ दिनों का घटनाक्रम देखते हुए DGCA ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए आज पूछा कि गो फर्स्ट का लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही विमानन नियामक ने गो फर्स्ट को टिकट बिक्री फौरन रोकने का भी निर्देश दिया।
गो फर्स्ट ने 2 मई को आवेदन कर दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत की थी। इसके बाद कंपनी ने 12 मई तक की सभी उड़ानें रद्द कर दी और 13 से 22 मई तक की उड़ानों के लिए हवाई टिकट बुक करने भी बंद कर दिए।
DGCA के नोटिस से पहले आज गो फर्स्ट 23 मई और आगे की उड़ानों के टिकट बेच रही थी। डीजीसीए ने कहा, ‘गो फर्स्ट द्वारा उड़ान अचानक रद्द किए जाने और IBC के तहत कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू किए जाने के कारण नियामक ने विमानन नियम, 1937 के प्रासंगिक प्रावधानों के अंतर्गत कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय तरीके से निरंतर परिचालन में विफल रहने की वजह से गो फर्स्ट को यह नोटिस जारी किया गया है।’
गो फर्स्ट को नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है। कंपनी के जवाब के आधार पर फैसला होगा कि परिचालन लाइसेंस रद्द किया जाए या नहीं। साथ ही प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से की जा रही टिकट बिक्री भी अगले आदेश तक बंद करने का निर्देश दिया गया है। गो फर्स्ट ने परिचालन लाइसेंस मिलने के बाद नवंबर 2005 से वाणिज्यिक उड़ानें शुरू की थीं।
अमेरिका की प्रैट ऐंड व्हिटनी (P&W) से इंजन मिलने में देर होने के कारण गो फर्स्ट के करीब आधे विमान (54) बेकार खड़े हैं। विमानन कंपनी 2018-19 से ही घाटे में चल रही है और नकदी संकट के लिए उसने इंजन कंपनी को जिम्मेदार ठहराया है।
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DGCA ने 4 मई को गो फर्स्ट को निर्देश दिया था कि वह नियमों के अनुसार टिकट रद्द कराने वाले यात्रियों का पैसा वापस करे। दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने से पहले गो फर्स्ट प्रतिदिन करीब 200 उड़ान संचालित कर रही थी।
विमानन परामर्श फर्म CAPA India ने ट्विटर पर कहा कि सरकार को ब्रिटेन की ATOL की तर्ज पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए तत्काल संस्थागत व्यवस्था करनी चाहिए ताकि कोई विमानन कंपनी ठप होने पर टिकट का पूरा पैसा वापस मिल सके। CAPA 2011 से ही इस तरह का तंत्र बनाने का सुझाव देती रही है।
ATOL(एयर ट्रैवल ऑर्गनाइजर्स लाइसेंस) योजना के तहत ब्रिटेन में हवाई टिकट या हॉलिडे पैकेज बेचने वाली ट्रैवल कंपनी को ATOL लेना पड़ता है और अगर कोई कंपनी कारोबार से बाहर हो जाती है तो एटीओएल योजना के तहत ग्राहकों को उनका पैसा वापस मिल जाता है।
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गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली फर्मों ने 4 मई को DGCA से कंपनी के 23 विमानों का पंजीकरण रद्द करने का आग्रह किया था क्योंकि दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से पहले वे अपनी संपत्तियों को सुरक्षित करना चाह रही हैं। नियम के मुताबिक आवेदन मिलने के 5 कार्यदिवस के अंदर DGCA विमानों का पंजीकरण रद्द करता है।
इस बीच पट्टा फर्मों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) में अंतरिम मॉरेटोरियम की गो फर्स्ट की मांग का विरोध किया है। मॉरेटोरियम मिलने पर पट्टा कंपनियां अपना विमान वापस नहीं ले पाएंगी। NCLT ने भी गो फर्स्ट को मॉरेटोरियम देने से इनकार कर दिया है।