गो फर्स्ट (Go First) द्वारा दिवालिया प्रक्रिया से विमानन क्षेत्र में और सुधार लाए जाने की जरूरत पैदा हो गई है। स्पाइसजेट (SpiceJet) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने गुरुवार को निकेश सिंह और अरूप रॉयचौधरी के साथ साक्षात्कार में बताया कि ऐसे घटनाक्रम से यह सवाल खड़ा होगा कि क्या भारतीय विमानन क्षेत्र मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
सिंह ने यह भी कहा कि स्पाइसजेट को हार्डवेयर आपूर्तिकर्ताओं के साथ कोई समस्या नहीं थी, और 25 विमानों को फिर से परिचालन सेवा में लाने के लिए केंद्र की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) के तहत ही कोष का इस्तेमाल किया जा रहा था। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
हमारा मानना है कि वे इस समाधान प्रक्रिया के जरिये आगे बढ़ने और फिर से मजबूती के साथ वापसी करने में सफल रहेंगे। जब भी ऐसी घटना घटती है, क्षेत्र के लिए नकारात्मक होती है। ऐसे घटनाक्रम यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या विमानन क्षेत्र बढ़ती मांग को पूरा करने के लिहाज से सक्षम बना रहेगा? जैसा कि हमने अतीत में देखा, हम एक मजबूत और सक्षम क्षेत्र चाहते हैं और इसके लिए निश्चित तौर पर कई तरह की समस्याएं दूर करने की जरूरत होगी।
ATF यानी विमानन ईंधन को GST के दायरे में लाने की जरूरत होगी। यह GST परिषद से जुड़ा विषय है और हमें परिषद को इससे अवगत कराया है। लेकिन इस बीच, केंद्र सरकार और खासकर नागर विमानन मंत्रालय ने ATF पर वैट में कमी लाने की दिशा में काम किया है और 19 राज्यों ने इस पर अमल किया है। इसलिए, यह माना जा रहा है कि यदि शेष चार या पांच राज्य भी वैट घटाते हैं तो समस्या कुछ हद तक सुलझ जाएगी। इसके अलावा भारत के लिए विमानन क्षेत्र में अपने स्वयं के अंतरराष्ट्रीय हब बनाने का समय आ गया है।
ATF का पेट्रोलियम श्रेणी में बेहद कम योगदान है। जहाजों में इस्तेमाल होने वाला बंकर ऑयल GST में पहले से ही शामिल है और इसलिए निश्चित तौर पर आप ATF को GST के तहत ला सकते हैं।
निर्माताओं को सही समय पर इंजन मुहैया कराने की जरूरत होगी। माना जा रहा है कि गो फर्स्ट को इंजन की जरूरत थी और इंजन निर्माता इन्हें मुहैया कराने में विफल रहे।
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हमें कोई बड़ी समस्या नहीं हुई, हम अपना बेड़ा फिर से तैयार कर रहे हैं। कोविड के दौरान ज्यादातर विमानों का परिचालन बंद रहा। हम परिचालन से दूर 25 विमानों को फिर से उड़ानों के लिए ला रहे हैं। हम ज्यादा संख्या में विमानों को पट्टे पर लेने की कोशिश कर रहे हैं जिससे बढ़ती मांग की चुनौती से निपटा जा सके। हमें ECLGS के तहत 1,000 करोड़ रुपये की सहायता मिली है।
जब भी इस तरह के घटनाक्रम होते हैं, निवेशक धारणा प्रभावित होती है। हमें निवेशक धारणा और तेजी से बढ़ रहे बाजार, दोनों के नजरिये से मजबूत प्रदर्शन करना होगा।