दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन कर चुकी गो फर्स्ट के कर्मचारियों को उम्मीद है कि एयरलाइन सरकारी मदद के साथ मौजूदा संकट से बाहर निकलने में सफल रहेगी, लेकिन कुछ कर्मियों ने पहले ही नौकरियां तलाशनी शुरू कर दी थीं।
गो फर्स्ट के कुछ पायलट हाल के सप्ताहों में पश्चिम एशिया की एयरलाइनों से जुड़े हैं और कुछ अन्य ने भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो में नौकरी पाने की कोशिश तेज कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि इंडिगो के एचआर (HR) और परिचालन विभाग (operations department) को इस संबंध में कॉल करने की संख्या बढ़ी है, क्योंकि गो फर्स्ट ने मंगलवार को कह दिया कि वह तीन दिन में उड़ानें बंद कर देगी। संकटग्रस्त एयरलाइन के केबिन क्रू सदस्य एयर इंडिया में अवसरों पर विचार कर रहे हैं। एयर इंडिया अपना विस्तार करने के लिए स्टाफ की नियुक्तियां कर रही है।
गो फर्स्ट के कर्मियों के लिए वित्तीय चुनौतियां नई नहीं हैं। उन्हें महामारी के दौरान भी कई महीनों तक बगैर वेतन के छुट्टी पर रहना पड़ा था। हाल के महीनों में वेतन में भी विलंब हुआ, क्योंकि एयरलाइन को नकदी किल्लत से जूझना पड़ा, जिसके लिए उसने अपने करीब आधे विमानों के बंद परिचालन को जिम्मेदार ठहराया है। कर्मचारी गो फर्स्ट की समस्याओं से अवगत थे, लेकिन दिवालिया समाधान प्रक्रिया के बारे में मंगलवार को हुई घोषणा ने उन्हें हैरान कर दिया है।
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एयरलाइन के प्रबंधन ने कर्मचारियों की चिंताएं दूर करने के लिए एक ईमेल भेजा है। गो फर्स्ट के मुख्य कार्याधिकारी कौशिक खोना ने इस ईमेल में लिखा है, ‘हम आपको यह आश्वस्त करना चाहेंगे कि सभी कर्मचारियों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का हरसंभव समाधान निकाल रहे हैं। हम जानते हैं कि यह खबर चिंताजनक होगी और हम मुसीबत के मौजूदा समय में आप सभी को अपनी मदद देने के लिए प्रतिबद्ध बने हुए हैं।
NCLT से आदेश मिलने के बाद कंपनी अपनी योजना से कर्मियों को बेहतर ढंग से अवगत कराने में सक्षम होगी।
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गो फर्स्ट के एक इंजीनियर ने कहा, ‘हमें इस कंपनी पर हमेशा से भरोसा था। एयरलाइन कई बार बुरे दौर से गुजरी और अन्य की तुलना में बेहतर ढंग से मुकाबला करने में सफल रही।’
कुछ कर्मियों का मानना है कि दिवालिया प्रक्रिया का कदम इमरजेंसी फंड पाने के लिए प्रबंधन द्वारा अपनाई गई रणनीति है।