facebookmetapixel
Bonus Stocks: हर एक पर पांच शेयर फ्री! ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को गिफ्ट, रिकॉर्ड डेट फिक्सBihar Election Results: महागठबंधन की उम्मीदें क्यों टूटीं, NDA ने डबल सेंचुरी कैसे बनाई?इंडिगो 25 दिसंबर से नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 10 शहरों के लिए शुरू करेगी घरेलू उड़ानेंDelhi Weather Update: सावधान! दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का कहर, IMD ने कोल्ड-वेव अलर्ट जारी कियाNowgam Blast: फरीदाबाद में जब्त विस्फोटकों के कारण श्रीनगर में पुलिस थाने में धमाका; 8 की मौत, 27 घायलDecoded: 8वें वेतन आयोग से कर्मचारी और पेंशनरों की जेब पर क्या असर?DPDP के नए नियमों से बढ़ी ‘कंसेंट मैनेजर्स’ की मांगसरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओर

सस्ते तेल के लिए रिफाइनरी कंपनियों का नया विकल्प

Last Updated- December 07, 2022 | 7:43 AM IST

भारतीय तेल कंपनियां रिफाइनरी मार्जिन बढ़ाने के लिए और आपूर्ति के खतरों को कम करने के लिए कच्चे तेल में ज्यादा सल्फर वाले तेल आयात कर रही हैं।


ज्यादा सल्फर वाला कच्चा तेल कंपनियों को लगभग 3 डॉलर प्रति बैरल सस्ता पड़ता है। देश की कुल तेल खपत का लगभग 33 फीसदी तेल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) रिफाइन करती है। कंपनी के आयात में सल्फर की ज्यादा मात्रा वाला तेल लगभग 70 फीसदी होता है।

पिछले साल तक कंपनी के आयातित तेल में इस तेल की हिस्सेदारी 60 फीसदी ही थी। मुंबई और विशाखापत्तनम में रिफाइनरी संचालित करने वाली हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी कु छ अलग नहीं है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2007-08 में ज्यादा सल्फर वाले तेल का लगभग 65 फीसदी आयात किया था। जबकि वित्त वर्ष 2006-07 में आयातित तेल में इस तेल का हिस्सा 56 फीसदी था।

आईओसी के रिफाइनरी निदेशक बी एन बंकापुर ने कहा, ‘हम अपनी रिफाइनरियों को ज्यादा सल्फर वाले तेल को रिफाइन करने के लिए तकनीकी तौर पर प्रोन्नत कर रहे हैं। ज्यादा सल्फर वाले तेल को रिफाइन करने से हमारा रिफाइनरी मार्जिन बढ़ जाता है। क्योंकि कच्चे तेल में सल्फर की मात्रा जितनी बढ़ती जाती है उतनी ही उसकी कीमत कम हो जाती है।’

वित्त वर्ष 2007-08 में कंपनी का रिफाइनरी मार्जिन 9.04 डॉलर प्रति बैरल था जबकि 2006-07 में यह आंकड़ा 4.19 डॉलर प्रति बैरल था। जब कंपनी की सभी नौ रिफाइनरीज इस तेल को रिफाइन करने में सक्षम हो जाएंगी तो कंपनी का रिफाइन मार्जिन भी बढ़ जाएगा। गुजरात में 330 लाख टन की क्षमता वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिफाइनरी का रिफाइन मार्जिन वित्त वर्ष 2007-08 में 15 डॉलर प्रति बैरल रहा जबकि, वित्त वर्ष 2006-07 में यह मार्जिन 11.7 डॉलर प्रति बैरल था।

सिंगापुर रिफाइनरी का मार्जिन वित्त वर्ष 2007-08 में 7.6 डॉलर प्रति बैरल था। ज्यादा रिफाइनरी मार्जिन होना आईओसी, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी तेल विपणन कंपनियों के लिए काफी अच्छा है। इन कंपनियों को पेट्रोल, डीजल, कुकिंग गैस और केरोसिन सब्सिडाइज्ड कीमतों में उपलब्ध कराने से रोजाना लगभग 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

आईओसी गुजरात स्थित अपनी रिफाइनरी को सल्फर की ज्यादा मात्रा वाले तेल का शोधन करने काबिल बनाने के लिए 6,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। कंपनी हल्दिया और मथुरा स्थित संयंत्र में भी लगभग इतना ही निवेश करने की योजना बना रही है। बंकपुरा ने कहा, ‘इन रिफाइनरियों के लिए निवेश के बारे में अभी बातचीत चल रही है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि  ऐसा करने से तेल कंपनियों का रिफाइनरी मार्जिन तो बढ़ेगा ही इसके अलावा कच्चा तेल खरीदने के लिए कंपनियों के पास भी बेहतर विकलप मौजूद रहेंगे। दिल्ली के एक विश्लेषक ने बताया, ‘अब कंपनियों के पास कच्चा तेल खरीदने के ज्यादा विकल्प मौजूद होंगे। जबकि सलफर की कम मात्रा वाला तेल खरीदने के लिए किसी खास स्रोत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।’ आईओसी इस तेल को अंगोला, कैमेरून, गुआना और मलेशिया से आयात कर रही है।

First Published - June 25, 2008 | 11:38 PM IST

संबंधित पोस्ट