NCLT के मुंबई पीठ ने एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक के मर्जर को मंजूरी दे दी और इस तरह से भारत में सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक के बनने का रास्ता साफ कर दिया।
इस विलय को बाजार नियामक सेबी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग और दोनों इकाइयों के शेयरधारकों की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक और दोनों स्टॉक एक्सचेंजों से भी मंजूरी मिल चुकी है।
इस विलय की घोषणा अप्रैल 2022 में की गई थी, जहां एचडीएफसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायकों एचडीएफसी इन्वेस्टमेंट लिमिटेड और एचडीएफसी होल्डिंग्स लिमिटेड का विलय एचडीएफसी लिमिटेड के साथ होगा। नियामकीय मंजूरी प्राकल्पित 15-18 महीने से पहले मिल गई।
हर जगह से मंजूरी हालांकि मिल चुकी है, लेकिन एचडीएफसी बैंक अभी भी RBI से सहनशीलता (फोरबियरेंस) पर स्पष्टता चाहता है, जिसकी मांग उसने की थी।
एचडीएफसी बैंक ने RBI से अनुरोध किया है कि सांविधिक तरलता अनुपात और नकद आरक्षी अनुपात के अलावा प्राथमिकता वाले क्षेत्र को उधारी (सीआरआर, एसएलआर और पीएसएल) के मानकों को पूरा करने के लिए चरणबद्ध तरीके अपनाने की इजाजत दी जाए। साथ ही उसने कुछ परिसंपत्तियों व देनदारी व कुछ सहायकों के मामले में ग्रैंडफादरिंग की इजाजत मांगी है।
बैंक ने सीआरआर, एसएलआर और पीएसएल के मानकों को पूरा करने के लिए दो-तीन साल का वक्त मांगा है। एचडीएफसी के पास बैंकों की तरह सीआरआर-एसएलआर व प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को लेकर किसी तरह का दायित्व नहीं है।
साथ ही उसने कहा है कि एचडीएफसी लाइफ में उसे 50 फीसदी हिस्सेदारी रखने की इजाजत दी जाए, जो विलय के बाद बैंक की सहायक बन जाएगी। अभी एचडीएफसी के पास एचडीएफसी लाइफ की 48 फीसदी हिस्सेदारी है, 50 फीसदी एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस की और एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी की 52.6 फीसदी हिस्सेदारी है।