Vedanta Demerger: अरबपति अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांत लिमिटेड को छह सूचीबद्ध कंपनियों में विभाजित करने की महत्वाकांक्षी योजना में और देरी हो गई है। राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) ने अपनी सुनवाई अगले महीने तक स्थगित कर दी है जबकि बाजार नियामक ने अनुपालन में चूक के संबंध में कंपनी को अलग से चेतावनी दी है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस पुनर्गठन पर आपत्ति जताई। इसके बाद मुंबई में एनसीएलटी ने बुधवार को मामले की सुनवाई 17 सितंबर तक स्थगित कर दी। मंत्रालय ने तर्क दिया कि प्रस्तावित विभाजन से वेदांत के तेल और गैस कारोबार से जुड़े उत्पादन और राजस्व-साझा करने वाले अनुबंधों के तहत बकाया राशि वसूलने की उसकी क्षमता को प्रभावित हो सकती है।
Vedanta के वकील ने इसका जवाब पेश किया लेकिन बहस पूरी नहीं कर पाए। लिहाजा, सुनवाई स्थगित कर दी गई। कंपनी ने इस योजना के लागू होने पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पक्ष में कॉर्पोरेट गारंटी की पेशकश करते हुए पंचाट को आश्वस्त करने की कोशिश की। वेदांत ने कहा कि यह गारंटी माल्को एनर्जी लिमिटेड (एमईएल) की संभावित अनुबंध देनदारियों को कवर करेगी। यह वह इकाई है जो विभाजन के बाद उसके तेल एवं गैस परिचालन का संचालन करेगी।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘ऐसा उस स्थिति में होगा जब एमईएल उत्पादन साझेदारी अनुबंधों और राजस्व साझेदारी के अनुबंधों के तहत पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रति संभावित करार देनदारी , अगर कोई हो, को पूरा करने या संतुष्ट करने में असमर्थ रहती है।’ वेदांत ने दोहराया कि वह शेयरधारकों और हितधारकों को ‘दीर्घकालिक मूल्य प्रदान करने’ के लिए प्रतिबद्ध है।
नियामकीय जांच ने निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया है। बुधवार को वेदांत का शेयर एक प्रतिशत गिरकर 445 पर बंद हुआ और इसने बाजार के मुकाबले कमतर प्रदर्शन किया। कंपनी पर दबाव तब और बढ़ गया जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 13 अगस्त को लिखे पत्र में वेदांत को प्रशासनिक चेतावनी जारी की।
नियामक ने कहा कि कंपनी ने शेयर बाजारों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के बाद सेबी की स्पष्ट लिखित सहमति लिए बिना, जो उसके मास्टर सर्कुलर में अनिवार्य है, अपनी व्यवस्था की योजना में बदलाव किया। इस उल्लंघन को एक ‘गंभीर’ चूक बताया गया और इसकी सबसे पहले बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने शिकायत की थी।