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NCLT ने कपिल वधावन को दिवालिया घोषित किया, DHFL के लिए क्या हैं इसके मायने?

ट्रिब्यूनल ने वधावन को अपना वित्तीय विवरण दिवालिया ट्रस्टी संजय कुमार मिश्रा के पास जमा कराने का ​निर्देश दिया है।

Last Updated- August 19, 2025 | 10:19 PM IST
Kapil Wadhawan

नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने सोमवार को दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व प्रवर्तक और पर्सनल गारंटर कपिल वधावन को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 4546 करोड़ रुपये की चूक की याचिका पर दिवालिया घोषित कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, दिवालिया आदेश वधावन के लिए व्यापक पेशेवर और व्यक्तिगत परिणाम लेकर आएगा।

वधावन और डीएचएफएल के लिए क्या हैं इसके मायने?

ट्रिब्यूनल ने वधावन को अपना वित्तीय विवरण दिवालिया ट्रस्टी संजय कुमार मिश्रा के पास जमा कराने का ​निर्देश दिया है, जिन्हें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नामांकित किया है और ट्रिब्यूनल ने नियुक्त किया है। यह आदेश तब आया जब सितंबर 2024 की बैठक में लेनदारों ने उनके खिलाफ दिवालिया समाधान प्रक्रिया समाप्त करने का फैसला लिया था क्योंकि उनकी तरफ से पुनर्भुगतान योजना जमा नहीं कराई गई और वे इसके बजाय दिवालिया के साथ आगे बढ़े।

चैंबर्स ऑफ पार्थ कॉन्ट्रैक्टर के संस्थापक पार्थ कॉन्ट्रैक्टर ने कहा, कपिल वधावन के खिलाफ की गई घोषणा मार्च 2024 में नीरज वधावन के साथ हुई घटना के बाद की है। यह यूनियन बैंक द्वारा शुरू की गई एक लंबी कानूनी प्रक्रिया का परिणाम है। दिवालियापन ट्रस्टी की नियुक्ति के बाद (जो उनकी सभी संपत्तियों का नियंत्रण लेगा और लेनदारों की संतुष्टि के लिए उन्हें बेचेगा) उन्हें सहयोग करना होगा और अपने मामलों और संपत्तियों का पूरा विवरण देना होगा।

महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अन्य कंपनियों में निदेशक के रूप में कार्य नहीं कर पाएंगे, अनुबंध करना मुश्किल होगा और विदेश यात्रा प्राधिकरण की अनुमति के अधीन होगी।

विस लेजिस लॉ प्रैक्टिस के मैनेजिंग पार्टनर राहुल हिंगमिरे ने कहा कि यह आदेश औपचारिक रूप से गारंटर के रूप में वधावन की जिम्मेदारी स्थापित करता है। उन्होंने कहा, दिवालियापन संहिता (आईबीसी) की धारा 128 और 154 के तहत उनकी संपत्ति दिवालिया ट्रस्टी के पास चली जाती है, जिससे उनका नियंत्रण छिन जाता है। इससे कानूनी तौर पर उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया जाता है, उनकी ऋण तक पहुंच पर प्रतिबंध लग जाता है और यह सेबी द्वारा लगाए गए 5 साल के बाजार प्रतिबंध के साथ-साथ चलता है।

डीएचएफएल और वधावन की आगे की राह?

विशेषज्ञों के मुताबिक, अब वधावन को अपने पूरे वित्तीय विवरण का खुलासा करना होगा। डीएमडी एडवोकेट्स के वकील ऋषभ शर्मा ने बताया, उन्हें आदेश के सात दिनों के भीतर अपनी और अपने परिवार के सदस्यों के नाम की संपत्तियों और पिछले तीन वर्षों की देनदारियों सहित अपनी वित्तीय स्थिति दर्ज करनी होगी। उनकी सभी संपत्तियों सहित पूरी संपत्ति अब निर्णायक प्राधिकरण (यानी एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त ट्रस्टी के पास रहेगी।

अपील की संभावना पर, कोछड़ ऐंड कंपनी के पार्टनर शिव सप्रा ने कहा कि राहत मिलना मुश्किल है। हालांकि आदेश के खिलाफ अपील करने का विकल्प उपलब्ध है, लेकिन पृष्ठभूमि और पुनर्भुगतान योजना पेश न करने के कारण राहत मिलने की संभावना कम है। अगर कोई योजना पेश की गई होती और उसे अस्वीकार कर दिया गया होता या उस पर विचार नहीं किया गया होता तो स्थिति अलग होती।

First Published - August 19, 2025 | 10:19 PM IST

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