ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (IBC) के मॉरेटोरियम प्रावधानों में कुछ क्षेत्रों के लिए ढील दी जा सकती है। कंपनी मामलों का मंत्रालय विमानों क पट्टे को इस प्रावधान से बाहर रखने पर विचार कर रहा है। मामले की जानकारी रखने वाले दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी देते हुए बताया कि दूरसंचार विधेयक में एक प्रावधान शामिल कर दूरसंचार क्षेत्र में बेकार पड़े स्पेक्ट्रम को मॉरेटोरियम के दायरे से बाहर किया जा सकता है।
IBC की धारा 14 किसी भी कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने की तारीख से ही उसकी कोई भी संपत्ति किसी और को सौंपने अथवा बेचने पर रोक लगाती है।
अधिकारियों ने बताया कि कंपनी मामलों के मंत्रालय को अंतर-मंत्रालय चर्चा के दौरान विमानन क्षेत्र में पट्टे पर लिए गए विमानों को मॉरेटोरियम (स्थगन) से बाहर रखने के मामले में पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है। यह कदम केपटाउन संधि विधेयक के अनुरूप होगा, जिसे नागर विमानन मंत्रालय ने पहली बार 2018 में पेश किया था। इस विधेयक में पट्टा फर्मों को भरोसा दिलाया जाता है कि कोई कंपनी दिवालिया हुई तो उनकी संपत्तियां जैसे विमान आदि नहीं फंसेंगे।
जैसे दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही विमानन कंपनी गो फर्स्ट को पट्टे पर दिए गए विमान फंस गए हैं। कंपनी द्वारा दिवालिया आवेदन दाखिल किए जाने से पहले ही पट्टा फर्मों ने अपने 45 विमानों का पंजीकरण खत्म करने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के पास अर्जी डाली थी। मगर इसी बीच दिवालिया आवेदन की मंजूरी मिल गई और मॉरेटोरियम लागू हो गया, जिसके कारण पट्टा फर्मों का आवेदन ठंडे बस्ते में चला गया है।
सरकार ने हाल ही में तेल क्षेत्र- नियमन और विकास अधिनियम, 1948 के अंतर्गत पेट्रोलियम संपत्तियों को IBC के तहत मॉरेटोरियम से छूट देने की अधिसूचना जारी की है। इस कदम का मकसद राष्ट्रीय संपत्तियों को बेकार होने से बचाना है।
दूरसंचार विभाग ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए सितंबर 2022 में दूरसंचार विधेयक का मसौदा जारी किया था। इसमें दूरसंचार सेवा प्रदाता के स्वामित्व वाले स्पेक्ट्रम पर स्थिति स्पष्ट करने की बात कही गई है।
विधेयक के अनुसार स्पेक्ट्रम की मालिक सरकार ही रहती है और IBC के तहत ऋणदाता स्पेक्ट्रम नहीं बेच सकता। मसौदे की धारा 2 (3) में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर दिवालिया दूरसंचार प्रदाता इन शर्तों का अनुपालन करने में विफल रहता है तो उसे आवंटित स्पेक्ट्रम स्वत: सरकार के पास चला जाएगा।
सरकारी अधिकारियों ने संकेत दिया कि कंपनी मामलों का मंत्रालय संहिता में किसी तरह का बदलाव नहीं कर रहा है लेकिन वह इस संबंध में विधेयक में किए गए बदलावों से सहमत है।
दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विधेयक का मसौदा दिवालिया प्रक्रिया का सामना करने वाली दूरसंचार सेवा प्रदाता के प्रति उदार है। अगर कंपनी दूरसंचार सेवाएं जारी रखती है या दूरसंचार नेटवर्क अथवा आवंटित स्पेक्ट्रम का उपयोग करती है तो संबंधित दूरसंचार लाइसेंसी कंपनी मौजूदा शर्तों पर अपना परिचालन जारी रख सकती है।’
(साथ में मुंबई से अनीश फडणीस)