कंपनी मामलों के मंत्रालय को अगले तीन से पांच महीनों में जेनसोल इंजीनियरिंग से जुड़ी जांच को पूरा करने की उम्मीद है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘हम सभी तथ्य एकत्रित कर आंतरिक जांच पूरी करना चाहते हैं जबकि अभी यह मामला ज्वलंत है।’
कंपनी मामलों का मंत्रालय अप्रैल से अपने महानिदेशक और कंपनी कार्यालयों के रजिस्ट्रार के माध्यम से जेनसोल इंजीनियरिंग के धन अन्यत्र स्थानांतरित करने के मामले की जांच कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार जेनसोल इंजीनियरिंग से संबंधित 17 कंपनियों के बही-खाते को खंगाल रही है। भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुरोध पर राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रवर्तकों के धन को अन्यत्र स्थानांतरित करने में उसके ऑडिटरों की भूमिका की शुरुआती जांच कर रहा है।
सेबी के आदेश में कहा गया कि जेनसोल इंजीनियरिंग के प्रवर्तक की हिस्सेदारी में तेजी से गिरावट आई और यह सामान्य नहीं था। इसमें कथित रूप से झूठे खुलासे, दिखावटी लेन देन और धन को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया था। प्रवर्तकों ने अपना पूरा निवेश निकाल लिया था। इससे अनजान निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा था।