रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), फ्यूचर समूह और एमेजॉन के बीच खींचतान जारी है और फ्यूचर समूह की संपत्तियां शेयरधारकों के समक्ष सबसे अहम मसला प्रतीत होता है। मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि संबंधित पक्षों के बीच किसी तरह के सुलह के संकेत नहीं हैं और कंपनियां तथा ऋणदाता जांच-परख के लिए सर्वोच्च न्यायालय से 15 मार्च को और समय की मांग कर सकते हैं।
जांच-परख के तहत देश भर में फ्यूचर के स्टोरों के साथ ही समूह की संपत्तियों, कर्मचारियों और कर्ज की पहचान करना शामिल है। संपत्तियों और उनकी कानूनी स्थिति तय करने के बाद ही मूल्यांकन संभव हो सकता है।
इसमें लंबा वक्त लगाने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों से सभी संबंधित पक्ष लगातार बैठक कर रहे हैं क्योंकि अदालत ने बातचीत के लिए 15 मार्च की समयसीमा तय की है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम में हिस्सा लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि फ्चूयर समूह और एमेजॉन के साथ मिलकर आरआईएल संयुक्त उद्यम में शामिल नहीं होना चाहती है।इस सप्ताह के शुरू में इन तीनों पक्षों के बीच इस विषय पर चर्चा हुई थी। सौदे में तीनों पक्षों के बीच त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम की स्थापना की बात भी शामिल है।
एमेजॉन की विलय एवं अधिग्रहण नीति की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि एमेजॉन-फ्यूचर-रिलायंस के बीच संयुक्त उद्यम की स्थापना करना काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया की शुरुआत होने से पहले परिसंपत्ति के रूप में दिखाने के लिए फ्यूचर समूह के पास कुछ नहीं है। सूत्रों ने आरोप लगाया कि इन परिसंपत्तियों में खुदरा स्टोर हैं जिन्हें फ्यूचर पहले ही अनुचित तरीके से रिलायंस को बेच चुकी है। फ्यूचर रिटेल ने स्टॉक एक्सचेंज को दी एक जानकारी में कहा कि रिलायंय रिटेल को 25,000 करोड़ रुपये में फ्यूचर समूह के खुदरा, लॉजिस्टिक एवं भंडारण कारोबार बेचने की योजना के लिए लॉन्ग-स्टॉप डेट पहले ही छह महीने (30 सितंबर तक) के लिए बढ़ाई जा चुकी है।
फ्यूचर के साथ चल रही एमेजॉन की अनौपचारिक बातचीत की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम से बहुत उम्मीदें नहीं हैं। कोई भी बातचीत तभी आगे बढ़ेगी जब कंपनियों के पास दिखाने के लिए कुछ परिसंपत्तियां होंगी।