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कैपिटल गुड्स : लागत बढ़ने से मार्जिन पर दबाव

Last Updated- December 05, 2022 | 10:04 PM IST

कैपिटल गुड्स सेक्टर की कंपनियों का कैपेक्स साइकिल में मजबूती और ऑर्डर बुक लबालब भरे होने से इन कंपनियों के नतीजे  मार्च 2008 में बेहतर रहने की उम्मीद है।


हालांकि प्रोजेक्ट्स में स्लिपेज की वजह से लागत कुछ बढ़ सकती है। पावर एक्विपमेंट कंपनी बीएचईएल ने जो कारोबारी साल 2008 के प्रोवीजनल आंकड़े जारी किए हैं, उसने सभी को निराश किया है। कंपनी की कमाई और इनका प्रॉफिट भी उम्मीद से कम ही रहा है।


कच्चे माल की लागत बढ़ने (खासकर स्टील और कॉपर की कीमतें) की वजह से कैपिटल गुड्स कंपनियों के एबिटा (ब्याज, टैक्स,डेप्रिसिएशन और एमॉर्टाइजेशन के बाद की कमाई)मार्जिन पर खासा दबाव बना है।


रुपए की कीमत बढ़ने की वजह से भी सीमेन्स, सुजलॉन और क्रॉम्पटन ग्रीव्स जैसी कंपनियों के नतीजों पर असर पड़ना है क्योकि इन कंपनियों की काफी बड़ी कमाई एक्सपोर्ट से होती है। इन कंपनियों को विदेशी मुद्रा के भावों में हो रहे भारी उतार चढ़ाव की वजह से जोखिम प्रबंधन का पुख्ता इंतजाम करना होगा।


मिसाल के तौर पर एल ऐंड टी इंटरनेशनल एफजेडई (एल ऐंड टी की 100 फीसदी सब्सिडियरी) ने कमोडिटी हेजिंग की वजह से काफी नुकसान होने का ऐलान किया था। एनालिस्टों का मानना है कि इस सेक्टर का ऑपरेटिंग मार्जिन जो मार्च 2007 की तिमाही में औसतन 18 फीसदी था, मार्च 2008 की तिमाही में घटकर 17 फीसदी पर आ जाएगा। 

First Published - April 18, 2008 | 11:47 PM IST

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