अग्रणी ऋणदाताओं की जोखिम प्रबंधन इकाइयों ने अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा दायर होने के संभावित असर का आकलन शुरू कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर बैंकों के बोर्डों, खास तौर पर उनकी जोखिम प्रबंधन उप-समितियों को आगाह किया जा सकता है क्योंकि यह ऋणदाता और उधारकर्ता संबंधों पर असर डालने वाला प्रमुख मुद्दा है।
बैंकों के वरिष्ठ कार्याधिकारियों ने कहा कि वे घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। विशेष रूप से उन परियोजनाओं में निवेश- ऋण एवं डेट- के लिए परिसंपत्ति कवर मौजूद हैं जिनका नकदी प्रवाह अच्छा है। जोखिम प्रबंधन विभाग अपने कॉरपोरेट ऋण विभाग से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि ऋणदाता अदाणी समूह के साथ इस मुद्दे पर कब बात करेंगे।
ऋणदाताओं द्वारा अदाणी समूह की कंपनियों को दिए गए ऋण की ओर इशारा करते हुए ब्रोकरेज फर्म आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में अदाणी समूह का सकल ऋण 29 अरब डॉलर यानी 2.4 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध ऋण 22 अरब डॉलर यानी 1.8 लाख करोड़ रुपये था।
जहां तक भारतीय ऋणदाताओं का सवाल है तो अदाणी समूह के कुल ऋण में भारतीय ऋणदाताओं की हिस्सेदारी 36 फीसदी है। इसमें वित्तीय संस्थानों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की हिस्सेदारी 18 फीसदी थी। इसके अलावा सरकारी बैंकों की 15 फीसदी और निजी क्षेत्र के बैंकों की 4 फीसदी हिस्सेदारी थी।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने कहा कि समूह के कुल ऋण में वैश्विक बैंकिंग संस्थानों की हिस्सेदारी 26 फीसदी थी। साथ ही वैश्विक पूंजी बाजार की 29 फीसदी, भारतीय पूंजी बाजार की 5 फीसदी एवं अन्य की 4 फीसदी हिस्सेदारी थी।
बैंकरों ने कहा कि बैंक और उधारकर्ताओं के बीच वाणिज्यिक लेनदेन के लिए ट्रैक-रिकॉर्ड पर खास ध्यान दिया जाता है। समय पर अदायगी और कोई डिफॉल्ट न होना महत्त्वपूर्ण है। मगर भविष्य के किसी भी ऋण के लिए आकलन करते समय तमाम जोखिमों को ध्यान में रखना एक विवेकपूर्ण कदम है।
एक सरकारी वित्तीय संस्थान के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अधिकतर भारतीय ऋणदाता भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार ऋण देते हैं। ऐसे में किसी ताजा ऋण के लिए काफी कम गुंजाइश दिखती है।
मुंबई के बैंकों के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह घटनाक्रम इतना बड़ा है कि इसे महज आंतरिक आकलन का मामला नहीं माना जा सकता। इसे विचार-विमर्श के लिए निदेशक मंडल के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है।
फिच ग्रुप की इकाई क्रेडिटसाइट्स ने अदाणी समूह पर एक नोट में कहा है कि सबसे बड़ी चिंता लघु अवधि की ऋण अदायगी जोखिम के बारे में है क्योंकि कंपनी प्रशासन संबंधी अनिश्चितताएं रकम जुटाने और ऋण अदायगी के प्रयासों को गंभीर रूप से बाधित कर सकती हैं।