भारत के दिवालिया कानून पर एक और कानूनी लड़ाई शुरू होने वाली है क्योंकि एशियन कलर्स कोटेड इस्पात (एसीसीआईएल) के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने कंपनी के लिए नया अभिरुचि पत्र ठुकरा दिया जब जेएसडब्ल्यू कोटेड पिछले साल जून में बाजी जीतने के बाद भी भुगतान में नाकाम रही।
नई बोलीदाता अमेरिका की इंटरप्स इंक की योजना नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) जाने की है ताकि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल और कंपनी के लेनदारों पर इस पेशकश पर विचार के लिए दबाव डाला जा सके। एसीसीआईएल ने 5,000 करोड़ रुपये के बैंक कर्ज के भुगतान में चूक की है। जेएसडब्ल्यू कोटेड ने कंपनी के लिए 1,550 करोड़ रुपये की पेशकश की थी, जिसे लेनदारों ने मंजूर कर लिया था।
एनसीएलटी ने जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को मंजूरी नहीं दी है और यह कई कानूनी संघर्ष के नतीजों पर निर्भर करेगा। एसीसीआईएल की दिवालिया प्रक्रिया दिवालिया संहिता के प्रावधानों के मुताबिक अभी पूरी नहीं हुई है। इंटरप्स के सूत्रों ने कहा कि दिवालिया संहिता के मुख्य उद्देश्यों में से एक है कॉरपोरेट ऋणी की परिसंपत्तियों की वैल्यू अधिकतम करना, ऐसे में उसकी पेशकश पर विचार किया जाना चाहिए।
इंटरप्स के अधिकारी ने कहा, लंबित कानूनी कार्यवाही और लॉकडाउन के चलते दिवालिया अवधि के विस्तार की वजह से जेएसडब्ल्यू कोटेड की समाधान योजना पर विचार और उसे मंजूर करने में लगने वाले संभावित समय को देखते हुए एसीसीआईएल के कामयाब समाधान की खातिर अभी अतिरिक्त समय उपलब्ध है। ऐसे में दिवालिया संहिता के मकसद को ध्यान में रखते हुए और कॉरपोरेट ऋणी के सभी हितधारकों के सर्वोच्च हित की खातिर हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमें भी इस समाधान प्रक्रिया में हिस्सा लेने का उचित मौका दिया जाए।
जेएसडब्ल्यू समूह के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। एसीसीआईएल के महाराष्ट्र व हरियाणा में संयंत्र हैं और सालाना क्षमता 10 लाख टन की है। लेनदारों के मुताबिक, कंपनी के अधिग्रहण के लिए उन्हें पहले ही संभावित बोलीदाताओं से सुझाव मिल चुके हैं और नई बोली मंगाई जाएगी।
जेएसडब्ल्यू स्टील ने भूषण पावर ऐंड स्टील की बोली भी जीत ली है और उसके लिए भारतीय लेनदारों को 19,700 करोड़ रुपये की पेशकश की है। वह लेनदारों के साथ यह सौदा पूरा करने के लिए बातचीत कर रही थी लेकिन इसी बीच महामारी फैल गई और देशव्यापी लॉकडाउन हो गया। जेएसडब्ल्यू इसके अलावा भूषण पावर के पूर्व प्रवर्तकों की तरफ से अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिका के नतीजे का इंतजार भी कर रही है।
जेएसडब्ल्यू ने साल 2018 में दिवालिया प्रक्रिया के तहत 2,875 करोड़ रुपये में मोनेट इस्पात का अधिग्रहण कर लिया। कंपनी ने मौजूदा वित्त वर्ष में अपना पूंजीगत खर्च 45 फीसदी घटाकर 9,000 करोड़ रुपये पर लाने का फैसला किया है।
