दुनिया के चार देशों भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में मोटा वेतन पाने वाले मुख्य कार्याधिकारियों के वेतन में औसतन 9.5 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। मगर इन देशों में कर्मचारियों का वेतन बढ़ने के बजाय 3.19 प्रतिशत कम हो गया। 1 मई पर अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर ऑक्सफैम ने अपने विश्लेषण में ये आंकड़े जारी किए हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और सरकारी एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर इस विश्लेषण में कहा गया है कि इन देशों में पिछले साल कामगारों ने छह दिनों तक मुफ्त में काम किया था क्योंकि उनके वेतन में महंगाई के हिसाब से बढ़ोतरी नहीं हो पाई थी।
50 देशों में एक अरब कामगारों के वेतन में 2022 में 68.5 डॉलर की औसत कटौती की गई थी। विश्लेषण में कहा गया है कि अगर वेतन में बढ़ोतरी महंगाई के अनुसार होती तो उसकी तुलना में वास्तविक वेतन में यह नुकसान 74.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाता है।
ऑक्सफैम इंटरनैशनल के अंतरिम कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने कहा, ‘ज्यादातर लोग अधिक समय तक काम कर रहे हैं मगर उस अनुपात में उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्हें रोजमर्रा के खर्चों से निपटने में भी मशक्कत करनी पड़ रही है।’
उन्होंने कहा कि ऐसे काम जरूर बढ़े हैं जिनके लिए किसी तरह का भुगतान नहीं होता है। बेहर ने कहा, ‘महिलाएं इसमें आगे रही हैं। यह कठिन एवं महत्त्वपूर्ण कार्य घरों में और समुदायों में बिना किसी भुगतान के होता है।’विश्लेषण में दिखाया गया है कि महिलाएं एवं लड़कियां हरेक साल बिना कोई भुगतान लिए 4.6 लाख करोड़ घंटे काम करती हैं।
उनके काम के बदले उन्हें पैसे नहीं मिलने का एक परिणाम यह होता है कि महिलाएं ऐसे काम अधिक समय तक नहीं कर पाती हैं जिनके लिए उन्हें भुगतान किया जाता है। कभी-कभी वे श्रम बल से बाहर निकलने पर विवश हो जाती हैं।
ऑक्सफैम के एक पूर्व विश्लेषण के अनुसार भारत में सर्वाधिक वेतन पाने वाले शीर्ष कार्याधिकारियों को पिछले साल औसतन 10 लाख डॉलर मिले। यह 2021 से 2 प्रतिशत की वास्तविक बढ़ोतरी (महंगाई दर की तुलना में) है।
एक साल में एक औसत मजदूर जितना कमाता है उतना एक कार्याधिकारी महज चार घंटे में अर्जित कर लेता है।विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि 2021 की तुलना में शेयरधारकों को होने वाले भुगतान में 10 प्रतिशत इजाफा हुआ। शेयरधारकों को 2022 में 1.56 लाख करोड़ डॉलर का भुगतान हुआ।
बेहर ने कहा कि वेतन में इस गहरी असमानता को दूर करने के लिए सरकार को कुल आबादी में 1 प्रतिशत धनाढ्य लोगों पर स्थायी तौर पर कर बढ़ा देना चाहिए। सरकार को न्यूनतम वेतन में महंगाई के अनुसार बढ़ोतरी सुनिश्चित करनी चाहिए और हरेक को संघ बनाने, हड़ताल करने और वेतन को लेकर बातचीत करने का अवसर भी मिलना चाहिए।