कंपनियों के मुनाफे में बढ़ोतरी के बावजूद कंपनी जगत ने वित्त वर्ष 2024 में कम लाभांश का भुगतान किया है। वित्त वर्ष 2024 में सूचीबद्ध कंपनियों ने कुल 4.03 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया है जो वित्त वर्ष 2023 के रिकॉर्ड 4.23 लाख करोड़ रुपये से 4.7 फीसदी कम रहा। इसकी तुलना में हमारे नमूने में शामिल सभी कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024 में 14.75 लाख करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2023 के 11.36 लाख करोड़ रुपये से 29.7 फीसदी अधिक है।
कोविड महामारी के बाद कंपनियों के मुनाफे में जोरदार उछाल के कारण वित्त वर्ष 2023 में लाभांश भुगतान तीन साल में सबसे ज्यादा दो अंक में बढ़ा था मगर पिछले वित्त वर्ष में लाभांश भुगतान में कटौती की गई। हमारे नमूने में शामिल सूचीबद्ध कंपनियों के लाभांश भुगतान की सालाना चक्रवृद्धि दर वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के दौरान 29.5 फीसदी रही।
वित्त वर्ष 2020 में इन कंपनियों ने कुल 1.95 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया था जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 4.23 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 की अवधि के दौरान कंपनियों का शुद्ध मुनाफा 33.7 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा था।
इसके उलट कोविड से पहले कंपनियों द्वारा इक्विटी लाभांश भुगतान वृद्धि हासिल करने से जूझ रहा है। हमारे नमूने में शामिल सूचीबद्ध कंपनियों का कुल लाभांश भुगतान वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2020 के दौरान 3 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा था। वित्त वर्ष 2017 में कंपनियों ने 1.78 लाख करोड़ रुपये लाभांश दिया था जो वित्त वर्ष 2020 में 1.95 लाख करोड़ रुपये रहा।
दूसरी ओर इन कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2017 में 4.81 लाख करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2020 में घटकर 4.75 लाख करोड़ रुपये रह गया था। पिछले 5 साल में पहली बार वित्त वर्ष 2024 में कंपनी जगत ने लाभांश भुगतान में कटौती की है। इससे पहले वित्त वर्ष 2019 में कंपनियों ने 1.85 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया था जो वित्त वर्ष 2018 के 1.87 लाख करोड़ रुपये से 0.7 फीसदी कम था।
वित्त वर्ष 2024 में लाभांश और मुनाफे में विपरीत चाल के कारण कंपनियों का लाभांश भुगतान अनुपात घटा है। वित्त वर्ष 2024 में लाभांश भुगतान अनुपात घटकर 27.3 फीसदी रहा जो कम से कम 9 साल में सबसे कम रहा। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2023 में लाभांश भुगतान अनुपात 37.2 फीसदी था और वित्त वर्ष 2020 में यह सबसे ज्यादा 41.2 फीसदी पर पहुंच गया था।
विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान कंपनियों की आय में असमान वृद्धि के कारण कुल लाभांश में गिरावट आई। ऐसे में कई क्षेत्रों की शीर्ष कंपनियों को लाभांश वितरण में कटौती करनी पड़ी और उन्हें अपने पास नकदी बचाकर रखनी पड़ी।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख (अनुसंधान एवं इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 में आय वृद्धि को मुख्य रूप से सरकारी बैंकों, तेल विपणन कंपनियों और वाहन विनिर्माताओं से बल मिला। आम तौर पर अधिक लाभांश देने वाली आईटी सेवा और एफएमसीजी कंपनियों को पिछले साल कमजोर मांग के कारण आय बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। धातु एवं खनन कंपनियों की आय में भी वित्त वर्ष 2024 के दौरान गिरावट दर्ज की गई।’
नमूने में शामिल 999 कंपनियों (नमूने का 35.7 फीसदी) ने वित्त वर्ष 2024 में अपने शेयरधारकों के लिए इक्विटी लाभांश की घोषणा की, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 1,038 कंपनियों (नमूने का 37 फीसदी) ने ऐसा किया था।
कुल लाभांश भुगतान में गिरावट की मुख्य वजह निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों द्वारा कम भुगतान रही। इन कंपनियों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), आईटीसी, वेदांत, हिंदुस्तान जिंक, बजाज ऑटो और जेएसडब्ल्यू स्टील आदि शामिल हैं।
टीसीएस ने वित्त वर्ष 2024 में 26,426 करोड़ रुपये का कुल इक्विटी लाभांश दिया, जो वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले 37.2 फीसदी कम है। आईटीसी ने वित्त वर्ष 2024 के लिए लाभांश भुगतान में 10.9 फीसदी की कटौती की, जबकि वेदांता ने वित्त वर्ष 2024 में केवल 10,463 करोड़ रुपये का लाभांश दिया, जो वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले 70.9 फीसदी कम है।
उधर, सरकारी बैंकों और तेल विपणन कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 में रिकॉर्ड लाभांश भुगतान किया। वित्त वर्ष 2024 में इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारतीय जीवन बीमा निगम, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारतीय स्टेट बैंक, आरईसी लिमिटेड और पंजाब नैशनल बैंक जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किए गए कुल लाभांश भुगतान में एक साल पहले के मुकाबले 28.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और वह 97,752 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.26 लाख करोड़ रुपये हो गया।