देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग फर्म लार्सन ऐंड टुब्रो (L&T) जेफ बेजोस के स्वामित्व वाली ब्लू ओरिजिन के साथ लिक्विड रॉकेट इंजनों के साथ ही अंतरिक्ष प्रवास समाधान की आपूर्ति के लिए बात कर रही है।
रक्षा और अंतरिक्ष कारोबार से जुड़ी L&T डिफेंस पहले से ही अपने कोयंबत्तूर संयंत्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को ठोस ईंधन वाले इंजनों की आपूर्ति कर रही है। L&T डिफेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख अरुण टी रामचंदानी ने कहा, ‘हम अपनी विशेषज्ञता और विनिर्माण कौशल का लाभ उठाते हुए कक्षीय प्रक्षेपण क्षमता में संभावित सहयोग के लिए ब्लू ओरिजिन के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस समय हम ISRO के लिए ठोस ईंधन आधारित इंजनों का हार्डवेयर बना रहे हैं।’
बेजोस ने अपने नागरिक, वाणिज्यिक और रक्षा ग्राहकों की जरूरतें पूरी करने के लिए किफायती और दोबारा इस्तेमाल में आने वाले प्रक्षेपण यान एवं अंतरिक्ष प्रणाली विकसित करने के वास्ते ब्लू ओरिजिन की स्थापना की थी। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक ब्लू ओरिजिन पुन: इस्तेमाल वाले तरल रॉकेट इंजन का उत्पादन करके अंतरिक्ष यात्रियों को ‘न्यू शेपर्ड’ पर अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है।
इसके साथ ही कंपनी न्यू ग्लेन नाम से एक कक्षीय प्रक्षेपण यान, अगली पीढ़ी का अंतरिक्ष प्रवासन विकसित कर रही है, जो वापस चंद्रमा की सतह पर लौट आएगा। न्यू ग्लेन ब्लू ओरिजिन द्वारा विकसित किया जाने वाला भारी वहन क्षमता वाला कक्षीय प्रक्षेपण यान है जिसका नाम नासा के अंतरिक्ष यात्री जॉन ग्लेन के नाम पर रखा गया है। जॉन पृथ्वी की कक्षा में जाने वाले पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थे।
भारत 21 जून को आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला 27वां देश है, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में NASA और भारतीय कंपनियों के बीच ज्यादा सहयोग की राह आसान हुई है। आर्टेमिस कार्यक्रम NASA और अन्य देशों द्वारा 2025 तक मानव को चंद्रमा पर भेजने तथा मंगल ग्रह और उससे आगे तक अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
रामचंदानी ने कहा, ‘हम अंतरिक्ष क्षेत्र में औद्योगिक सहयोग के लिए व्यापक संभावनाएं देख रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि मोदी की यात्रा को लेकर अमेरिका और भारत में काफी उत्साह है।
L&T ने अमेरिकी प्राधिकरणों के साथ मास्टर शिप मरम्मत समझौता किया है जो पांच साल के लिए मान्य है। इसके तहत अमेरिकी नौसेना के जहाजों में बदलाव और कायाकल्प करने का काम किया जाएगा। रामचंदानी ने कहा, ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र में लगभग 150 अमेरिकी नौसेना के जहाज काम कर रहे हैं इसलिए यह हमारे लिए बड़ा अवसर है। आगे हम ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की नौसेना के जहाजों की मरम्मत के लिए पात्र हो सकते हैं।’
भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 1.75 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 2023 में 1 लाख करोड़ रुपये का है। रामचंदानी ने कहा कि L&T केंद्र सरकार के पी-75आई पनडुब्बी परियोजना के लिए भी बोली लगाएगी।