अमेरिका की एग्रीकल्चर उपकरण सेक्टर की दिग्गज कंपनी जॉन डीरे (john deere) भारत में अपने 25 साल पूरे होने का जश्न मना रही है। भारत के कंट्री मैनेजर (प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी) शैलेंद्र जगताप ने संजीव मुखर्जी के साथ बातचीत में अपनी कार्य योजना, ट्रैक्टर बाजार से जुड़े दबावकारी मसलों और उद्योग के बारे में बताया। संपादित अंश :
अगर अल नीनो से मॉनसून पर असर पड़ता है और ग्रामीण संकट का कारण बनता है, तो क्या आप वित्त वर्ष 24 के दौरान ट्रैक्टर बिक्री में कोई मंदी देख रह हैं?
हमें मंदी का पूर्वानुमान नहीं लगा रहे हैं क्योंकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मौजूदा संकेतक सकारात्मक हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन हमें लगता है कि शायद यह उद्योग को तुरंत प्रभावित और धीमा न करे।
इस समय जलाशय पर्याप्त हैं और सामान्य मॉनसून रहने से हम विकास की उम्मीद कर सकते हैं। यह तकनीकी रूप से उन्नत कृषि मशीनरी की दिशा में सहायता करते हुए लंबे समय तक साथ देगा।
महंगाई ने ट्रैक्टर के दामों को किस तरह प्रभावित किया है? क्या जॉन डीरे ने दाम बढ़ाए हैं या वह भविष्य में ऐसा करने की योजन बना रही है।
जिंसों के दाम अस्थिर थे और इसने उद्योग को खासा प्रभावित किया। लेकिन इसके साथ ही हम इस बात को लेकर भी संवेदनशील हैं कि किसानों पर मूल्य वृद्धि का क्या असर पड़ सकता है और इसका भार उन पर उचित स्तर पर ही पड़े।
इस बार बाजार कैसा रहा है? क्या वित्त वर्ष 23 उतना ही अच्छा रहा है, जितना वित्त वर्ष 22 था या वह इस बात के मद्देनजर कुछ हद तक नरम रहा है कि वित्त वर्ष 22 आप सब के लिए काफी अच्छा था?
हम बाजार को लगभग उसी स्तर पर देख रहे हैं या शायद एक से दो फीसदी कम हो सकता है। इस वर्ष लगभग 8,50,000 से 8,70,000 ट्रैक्टर (घरेलू बिक्री में) रहेंगे। पिछले साल लगभग 8,70,000 से 9,00,000 ट्रैक्टर थे। तो, मामूली गिरावट है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ साल के दौरान ट्रैक्टरों की बिक्री में तेजी निर्माण क्षेत्र की मांग की वजह से रही है। आप इसे किस तरह देखते हैं?
कृषि क्षेत्र में यही हो रह है। पहली बात यह है कि हमने रिकॉर्ड स्तर पर अधिक खाद्यान्न उत्पादन हासिल किया है। फलों और सब्जियों का हमारा उत्पादन अनाज उत्पादन से आगे निकल गया है। और हाल के वर्षों में भारत फलों और सब्जियों के साथ-साथ बड़ी मात्रा में खाद्यान्न निर्यात कर रहा है।
एक अन्य कारक यह है कि जलाशय क्षमता लबालब है। इसलिए पानी उपलब्ध है और सरकार भी लगातार एमएसपी बढ़ा रही है। फिर जमीन की तैयारी में, बुआई और छिड़काव में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने तथा उर्वरकों और कीटनाशकों के कम उपयोग के कारण किसान की लागत में गिरावट आ रही है। इससे कृषि उत्पादन और उत्पादकता में सुधार हो रहा है और सरकार के मदद से किसान के पास उपलब्ध धन अधिक है। कुछ ट्रैक्टर निश्चित रूप से निर्माण में लगे हैं, लेकिन ट्रैक्टरों की मांग अधिक स्तर पर बनाए रखने के लिहाज से कृषि अब भी काफी अच्छी है। हमें लगता है कि कृषि प्रेरक शक्ति है, अलबत्ता निर्माण क्षेत्र इसमें निश्चित रूप से सहायता कर रहा है।
जॉन डीरे ने भारत में 25 साल पूरे कर लिए हैं। यह सफर कैसा रहा?
जॉन डीरे भारत में 25 साल का जश्न मना रही है। पिछले 25 साल से डीरे भारत में और वैश्विक स्तर पर ग्राहकों की सेवा कर रहा है। भारत में हम किसानों के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी लाने में अग्रणी हैं। ये प्रौद्योगिकियां किसानों की इनपुट लागत कम करने और कृषि उत्पादकता में सुधार लाने में मदद कर रही हैं। हम पावर स्टीयरिंग, पॉवर रिवर्सर और एमएफडब्ल्यूडी, वेट क्लच तथा हाल में ऑटोट्रैक और एसी कैब जैसी प्रौद्योगिकी लेकर आए हैं।