facebookmetapixel
डिजिटल गोल्ड के झांसे से बचें! सेबी ने बताया, क्यों खतरे में है आपका पैसाकेंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर लगाई मुहर, मोलासेस टैक्स खत्म होने से चीनी मिलों को मिलेगी राहतCDSCO का दवा कंपनियों पर लगाम: रिवाइज्ड शेड्यूल एम के तहत शुरू होंगी जांचें; अब नहीं चलेगी लापरवाहीपूर्वोत्तर की शिक्षा में ₹21 हजार करोड़ का निवेश, असम को मिली कनकलता बरुआ यूनिवर्सिटी की सौगातकेंद्र सरकार ने लागू किया डीप सी फिशिंग का नया नियम, विदेशी जहाजों पर बैन से मछुआरों की बढ़ेगी आयCorporate Action Next Week: अगले हफ्ते शेयर बाजार में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड की बारिश, निवेशकों की चांदीBFSI फंड्स में निवेश से हो सकता है 11% से ज्यादा रिटर्न! जानें कैसे SIP से फायदा उठाएं900% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेDividend Stocks: निवेशक हो जाएं तैयार! अगले हफ्ते 40 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड, होगा तगड़ा मुनाफाStock Split: अगले हफ्ते दो कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, छोटे निवेशकों के लिए बनेगा बड़ा मौका

Jet Airways ने गंवाया उड़ान भरने का अवसर, जालान-कैलरॉक कंसोर्टियम रहा है नाकाम : विशेषज्ञ

Last Updated- April 30, 2023 | 7:32 PM IST
Jet Airways Insolvency case: Jalan-Colrock gets more time to pay Rs 350 crore

जालान-कैलरॉक कंसोर्टियम (Jalan Kalrock Consortium) ने कहा है कि वह जेट एयरवेज (Jet Airways) को दोबारा शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध‍ है और संजीव कपूर (Sanjeev Kapoor) की जगह नए मुख्य कार्याधिकारी की तलाश हो रही है। कपूर का कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो गया।

उद्योग के विशेषज्ञों का हालांकि मानना है कि बंद पड़ी एयरलाइंस का नियंत्रण कंसोर्टियम के हाथ आ जाता है तब भी उसे दोबारा शुरू करना आसान नहीं होगा। इसकी वजह बाजार की बदले हुए हालात और देसी बाजार में एकीकरण है।

एविएशन कंसल्टेंट वी. मानसिंह ने कहा, जेट एयरवेज ने खुद को फिर से स्थापित करने का मौका गंवा दिया। एयर इंडिया (Air India) के बाद पूर्ण सेवा देने वाली दूसरी विमानन कंपनी के लिए बाजार में जगह थी। गो फर्स्ट (Go First) इंजन की समस्या का सामना कर रही है और स्पाइजेट (SpiceJet) के सामने वित्तीय चुनौतियां हैं। इन वजहों ने उनके विस्तार में अवरोध पैदा किया है।

जेट फायदा उठा सकती थी लेकिन इसमें नाकाम रही। उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में परिचालन शुरू करने वाली आकाश एयर (Akasa Air) ने तीन फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल की है जबकि एयर इंडिया अपने परिचालन को एकीकृत कर रही है। उन्होंने कहा, एयरपोर्ट में इच्छित स्लॉट और सही मानव संसाधन हासिल करना जेट के लिए अब चुनौतीपूर्ण होगी।

एक विमानन विशेषज्ञ ने कहा, विमानों की उपलब्धता, एयरपोर्ट के स्लॉट और पायलटों के लिहाज से पिछले 6 से 9 महीने में स्थितियां बदली हैं। पिछले साल मई में स्थितियां अलग थीं जब जेट के एयर ऑपरेटर प्रमाणपत्र को फिर से वैधता मिली थी।

उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए मूल रूप से रूसी एयरलाइंस के लिए बने नए विमान यूरोपीय व अमेरिकी पाबंदी के कारण उस समय बाजार में पट्टे पर उपलब्ध थे। बोइंग 737 मैक्स विमान चीन में प्रतिबंधित किए गए, लेकिन अब वहां की कंपनियों ने इस विमान के साथ परिचालन शुरू कर दिया है।

कंसोर्टियम ने वास्तव में रूसी विमानन कंपनियों की खातिर बनाए गए नए एयरबस विमानों के लिए पट्टादाताओं संग लेटर ऑफ इंटेट पर हस्ताक्षर किए थे लेकिन जेट को पटरी पर उतारने में देरी से मामला गड़बड़ा गया।

एक सूत्र ने कहा, वास्तव में जेट-कैलरॉक कंसोर्टियम की योजना दिसंबर 2022 तक छह विमान हासिल करने और अगले छह महीने में इसे दोगुना करने की थी। हर चीज पटरी पर थी, फ्लाइट के भीतर के मेन्यू तैयार कर लिए गए। ऐप तैयार थे और कॉल सेंटर के साथ करार पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस बारे में जानकारी के लिए कंसोर्टियम को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

Also Read: Air India के ज्यादातर पायलटों ने रिवाइज्ड सैलरी स्ट्रक्चर को स्वीकार किया: कैंपबेल विल्सन

जेट की बहाली की उम्मीद कम हो गई क्योंकि लेनदारों व कंसोर्टियम की राय नियंत्रण व अन्य शर्तों को लेकर अलग-अलग थी। पिछले साल नवंबर में कंसोर्टियम को लीव विदाउट पे पर कर्मचारियों को रखने के लिए बाध्य किया गया। उनमें से कई ने अनिश्चितता को देखते हुए अब नौकरी छोड़ दी है।

नोटिस अवधि पूरी करने के बाद सीईओ (डेजिगनेट) कपूर ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उपाध्यक्ष (परिचालन) पी पी सिंह और कंपनी सचिव नीरज मनचंदा ने भी उसी हफ्ते अलविदा कह दिया। जेट के पास अभी परिचालन, सुरक्षा व प्रशिक्षण प्रमुख नहीं हैं। ये पद सभी विमानन कंपनियों के लिए DGCA ने अनिवार्य बनाए हुए हैं तकि उनका परिचालन प्रमाणपत्र वैध बना रहे। जेट का एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट 19 मई को खत्म हो जाएगा।

कुछ अन्य चुनौतियां भी हैं। कंसोर्टियम को नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए एनसीएलटी ने 16 नवंबर से 180 दिन का समय अपने लेनदारों को भुगतान करने के लिए दिया है। यह समयसीमा भी जल्द पूरी होने वाली है और कंसोर्टियम लेनदारों की तरफ से एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपील को देखते हुए अतिरिक्त समय की मांग कर सकता है।

कंसोर्टियम की मूल समाधान योजना के तहत उसे 180 दिन के भीतर लेनदारों को 185 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जो अवधि अगले महीने खत्म हो रही है।

First Published - April 30, 2023 | 7:32 PM IST

संबंधित पोस्ट