देश में सात प्रमुख हवाईअड्डों का संचालन करने वाली और नवी मुंबई हवाईअड्डे का निर्माण कर रही अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड (एएएचएल) के निदेशक जीत अदाणी की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। उद्योगपति गौतम अदाणी के छोटे पुत्र ने साल 2019 में अदाणी एंटरप्राइजेज (एईएल) के ग्रुप सीएफओ के कार्यालय में रणनीतिक वित्त, पूंजी बाजार, जोखिम और प्रशासन नीति टीम के रूप में काम करना शुरू किया और फिर साल 2022 में उन्हें समूह के हवाईअड्डा कारोबार का नेतृत्व करने के लिए कहा गया। पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग स्नातक जीत समूह के डिजिटल और रक्षा कारोबारों के भी प्रभारी हैं।
अहमदाबाद में दीपक पटेल के साथ विशेष बातचीत में 27 वर्षीय जीत ने हवाईअड्डा कारोबार के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया, जिसके बारे में उम्मीद है कि वह अगले कुछ वर्षों में करीब एक लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेगा। प्रमुख अंश …
विमानन कंपनियों के बीच एकीकरण का हवाईअड्डों पर क्या प्रभाव होता है?
इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव होते हैं। सकारात्मक बात यह है कि हमारे जैसे बड़े देश के मामले में हमारे पास छोटी दूरी के मार्गों के साथ-साथ लंबी दूरी के मार्गों पर भी दमदार विमान कंपनियां हैं। टाटा समूह के समर्थन से एयर इंडिया काफी दमदार अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनी बनी रहेगी और यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक हम सिंगापुर, दोहा, दुबई और अबू धाबी जैसे हबों के लिए अंतरराष्ट्रीय यातायात गंवा रहे थे।
हमारे पास आखिरकार एक ऐसी विमानन कंपनी तो है, जो उस क्षमता को वापस ला सकती है। एयर इंडिया और इंडिगो दोनों ही दीर्घावधि के लिए यहां हैं। क्या दो विमानन कंपनी पूरे बाजार की सेवा करने में सक्षम होंगी, जबकि भारत आज के चीन वाले स्तर पर जा रहा है? हमें निश्चित रूप से दो से ज्यादा प्रमुख विमानन कंपनियों की जरूरत होगी। (एयर इंडिया और इंडिगो के पास फिलहाल घरेलू यात्री बाजार में 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है)।
हवाई अड्डे के लिए सकारात्मक बात यह है कि अब हमारे पास अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों की यात्रा करने के लिए भारतीय केंद्रों का उपयोग करने वाले भारतीय यात्रियों की बड़ी संख्या होगी। इसका हवाई अड्डों के गैर-हवाई राजस्व पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। हवाई अड्डे के दृष्टिकोण से नकारात्मक बात यह है कि हम कंसंट्रेशन रिस्क देखना शुरू सकते हैं। हालांकि मैं सैद्धांतिक रूप से नकारात्मक स्थिति की बात कर रहा हूं क्योंकि हमारे समूह के एयर इंडिया और इंडिगो के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं।
क्या आप हवाई अड्डों के नजरिये से कंसंट्रेशन रिस्क के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मुझे नहीं लगता कि वास्तव में कोई कंसंट्रेशन रिस्क है। मैं कहूंगा कि फायदे (विमान कंपनियों के एकीकरण के) नुकसान से कहीं ज्यादा हैं। मैं इससे काफी उत्साहित हूं क्योंकि आखिरकार हम एयर इंडिया के साथ बैठकर 10 साल की योजना पर बात कर सकते हैं।
तो, दो पक्षों के (इंडिगो और एयर इंडिया के) एकाधिकार से आपको परेशानी नहीं है?
नहीं।
नवी मुंबई हवाई अड्डा मार्च 2025 तक शुरू होने जा रहा है। क्या आपने इसके लिए विमानन कंपनियों के साथ करार कर लिया है?
हमें प्रतिबद्धताएं मिली हैं। विमानन कंपनियां बहुत इच्छुक हैं और वे हम पर दबाव डाल रहीं हैं तथा चरण-2 निर्माण की समयसीमा के बारे में हमसे सवाल पूछ रही हैं, जो मार्च तक चरण-1 पूरा हो जाने के बाद शुरू होगा।
अगले पांच वर्षों के लिए एएएचएएल की पूंजीगत व्यय के लिए क्या योजना है?
मोटे तौर पर अगले पांच वर्षों के लिए हमारी आंतरिक निवेश योजना – जिस तरह से हमने अपनी रकम जुटाई और सब कुछ किया – एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की है। मौजूदा टर्मिनलों का विस्तार करने और हवाईअड्डों पर नए टर्मिनल बनाने के लिए करीब 20,000 करोड़ रुपये लगाए जाएंगे। मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ और जयपुर के हवाईअड्डों पर शुरुआती शहरी विकास परियोजना के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा।
नवी मुंबई हवाईअड्डे पर चरण-2 के निर्माण के लिए करीब 18,000 करोड़ रुपये लगाए जाएंगे। हम भविष्य के विलय, अधिग्रहण और केंद्र सरकार के हवाईअड्डों के मुद्रीकरण (निजीकरण) के अगले दौर के लिए भी तकरीबन 20,000 करोड़ रुपये रख रहे हैं।