विविध क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी आईटीसी देश में संभावित भीषण गर्मी के किसी असर को कम करने के लिए अल्पकालिक उपायों पर काम कर रही है। कंपनी की कृषि विज्ञान टीमों ने बहु-आयामी उपायों के जरिये लू और बेमौसम बारिश का असर कम करने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट कार्य-व्यवहार पर काम किया है।
आईटीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव पुरी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (पूर्वी क्षेत्र) की वार्षिक क्षेत्रीय बैठक से इतर कहा कि इनमें से कुछ उपायों में फसल चक्र दृष्टिकोण, जलवायु अनुकूल किस्मों को लोकप्रिय बनाना, क्लाइमेट स्मार्ट कृषि और आकस्मिक योजना को बढ़ावा देना शामिल है।
‘चौपाल प्रदर्शन खेत’ के तहत क्षेत्र प्रदर्शनों द्वारा समर्थित किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ मिलकर डिजिटल सुपर ऐप – आईटीसीमार्स किसानों को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए अनुशंसा वाले कार्य-व्यवहार अपनाने में सक्षम बनाता है।
प्रचंड मौसम की स्थिति वास्तविकता है और इसे पहचानते हुए आईटीसी कुछ समय से जलवायु जोखिम मॉडलिंग पर काम कर रही है। विशेषज्ञों की एक टीम बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करते हुए काम कर रही है। पुरी ने कहा कि हम कुछ कृषि फसल मूल्य श्रृंखलाओं पर इसकी प्रायोगिक शुरुआत कर रहे हैं।
लुगदी और गेहूं की मूल्य श्रृंखलाओं के लिए जलवायु जोखिम मॉडलिंग पहले ही पूरी की जा चुकी है। अब यह काम आलू, मसाले और चावल आदि जैसी फसलों के लिए चल रहा है। पुरी ने कहा कि कंपनी ने क्लाइमेट स्मार्ट कृषि के साथ कृषि में लचीलापन लाने के लिए काम किया, जिससे ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन कम हुआ और किसान आय में वृद्धि हुई।
क्लाइमेट स्मार्ट कृषि कार्यक्रम का उद्देश्य मौसम की अनियमित घटनाओं से किसानों को जोखिम से बचाना है।