Skip to content
  शुक्रवार 24 मार्च 2023
Trending
March 23, 2023राहुल की दोषसिद्धि और सदस्यता पर सवाल, दो वर्ष का कारावास और फिर जमानतMarch 23, 2023संतुलन बनाने का प्रयासMarch 23, 2023महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में बढ़ता रोजगारMarch 23, 2023सुधार के जोखिम का आवश्यक है प्रबंधनMarch 23, 2023सिर्फ KYC अनुपालन वाले ई-वॉलेट से निवेश स्वीकारे म्युचुअल फंडMarch 23, 2023निफ्टी ऑप्शंस गड़बड़ी मामले को मॉर्गन स्टैनली ने निपटाया, किया करीब 25 लाख का भुगतानMarch 23, 2023अदाणी पावर को फिर ASM में रखेंगे एक्सचेंजMarch 23, 2023अप्रैल से मारुति सुजूकी के वाहनों के बढ़ जाएंगे दाम, कंपनी ने बताई ये दो वजहेंMarch 23, 2023बैंकिंग संकट के बाद भी फेड ने बढ़ाई दरें, टूटे बाजारMarch 23, 2023ऐक्सेंचर करेगी 19,000 कर्मचारियों की छंटनी, अगली तिमाही में भी भर्ती के आसार नहीं
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  आईटी  दूरसंचार कंपनियां ई एवं वी स्पेक्ट्रम बैंड के लिए क्यों हैं लालायित?
आईटी

दूरसंचार कंपनियां ई एवं वी स्पेक्ट्रम बैंड के लिए क्यों हैं लालायित?

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —October 27, 2020 12:38 AM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

दूरसंचार कंपनियों का समवेत आह्वान था कि विवाद का विषय बने ई एवं वी स्पेक्ट्रम बैंड की भी दूसरे स्पेक्ट्रम की तरह नीलामी की जाए। पिछले हफ्ते इन कंपनियों ने भारतीय सेल्युलर ऑपरेटर संघ (सीओएआई) के जरिये संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र लिखकर इस मांग से अवगत भी कराया है। उन्होंने कहा है कि कोई अन्य तरीका अपनाना कानूनी तौर पर अरक्षणीय एवं सबको समान मौका मिलने की धारणा को नष्ट करने वाला होगा और इससे सरकार को भी भारी राजस्व क्षति होगी।
लेकिन फेसबुक, गूगल और क्वालकॉम जैसी कंपनियों के मंच ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने भी इसका मुखर विरोध किया है। उनकी मांग है कि इस स्पेक्ट्रम को लाइसेंस के दायरे से बाहर कर देना चाहिए ताकि सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाने की मंशा रखने वाले करोड़ों उद्यमियों की राह आसान हो सके। उनका कहना है कि दूरसंचार कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम चले जाने से इस साल देश भर में 50 लाख से अधिक वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाने और वर्ष 2023 तक इसे दोगुना कर देने का सरकार का सपना धराशायी हो जाएगा। फिलहाल देश भर में वाई-फाई हॉटस्पॉट की संख्या 3 लाख से थोड़ा ही अधिक है। डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए सार्वजनिक हॉटस्पॉट की संख्या में भारी वृद्धि की जरूरत होगी।
ई एवं वी-बैंड के स्पेक्ट्रम में तगड़ा बैंडविड्थ होने से वे भारी पैमाने पर डेटा भेज सकते हैं। लेकिन यह काम थोड़ी दूरी तक ही संभव है। ई-बैंड के मामले में 6 किलोमीटर और वी-बैंड के मामले में तो सिर्फ 200 मीटर दूरी तक ही यह काम कर सकता है। लाइसेंस-मुक्त कर दिया जाने पर वी-बैंड ऐसा स्पेक्ट्रम दे सकता है जिसमें अभी इस्तेमाल हो रहे वाई-फाई राउटर्स की तरह दूसरे बिना लाइसेंस वाले बैंड से कम व्यवधान हो। आखिर यह शोरशराबा क्यों मचा हुआ है? दूरसंचार कंपनियां इन स्पेक्ट्रम बैंड के पाने के लिए इतनी लालायित क्यों हैं? हमें ध्यान रखना होगा कि कुछ साल पहले यह मामला सामने आने पर अकेले नई कंपनी रिलायंस जियो ने ही इनकी नीलामी की मांग रखी थी। पहले से सक्रिय ऑपरेटर चाहते थे कि ई एवं वी-बैंड को उनके पास पहले से मौजूद स्पेक्ट्रम के साथ संबद्ध किया जाए।  स्पष्ट है कि पुराने ऑपरेटर इन दोनों स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी के पक्ष में नहीं थे। लेकिन डेटा खपत की विस्फोटक वृद्धि और ब्रॉडबैंड इंटरनेट की आपूर्ति बढ़ाने की फौरी जरूरत ने पूरी तस्वीर बदल दी है। ई एवं वी-बैंड अपने पास होने से ऑपरेटर खाली जगह की भरपाई कर सकेंगे। मोबाइल टॉवरों के बीच अंतिम दौर का संपर्क स्थापित करने (तकनीकी शब्दावली में बैकहॉल) में इन बैंड का इस्तेमाल हो सकता है। फिलहाल करीब 30 फीसदी दूरसंचार टावर ही फाइबर के जरिये जुड़े हुए हैं और अनुमान है कि इस आंकड़े को दोगुना स्तर पर ले जाने के लिए दूरसंचार कंपनियों को करीब 3.5 अरब डॉलर का निवेश करना पड़ेगा। इसमें फाइबर बिछाने की मंजूरी हासिल करने से जुड़ी श्रमसाध्य प्रक्रिया को नहीं जोड़ा गया है। इस संदर्भ में ई एवं वी-बैंड स्पेक्ट्रम इस फासले को पाटने का एक सस्ता एवं सुगम विकल्प हो सकता है।
लेकिन एक विश्वसनीय बैकहॉल सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार कंपनियों को ऐसे स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी जो खास तौर पर उन्हीं के इस्तेमाल में हो। खासकर 5जी नेटवर्क पर अंजाम दी जाने वाली रिमोट रोबोटिक सर्जरी जैसी गतिविधियों के लिए बेहद कम ट्रांसमिशन विलंब वाला स्पेक्ट्रम जरूरी होगा। उनका कहना है कि ऐसे काम बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम के साथ नहीं पूरे किए जा सकते हैं।
लेकिन मुश्किल यह रही है कि दूरसंचार नियामक ने दूरसंचार कंपनियों के दावे पर हामी नहीं भरी है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बैकहॉल स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी के बजाय वर्ष 2014 में तय शुल्क वाली व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया था। वह अपने इस रुख पर अब भी कायम है। ट्राई के पूर्व अध्यक्ष आर एस शर्मा ने खुलेआम दूरसंचार कंपनियों की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि वाई-फाई हॉटस्पॉट से उनके डेटा वायरलेस राजस्व में कमी आने की धारणा अल्पकालिक सोच का नतीजा है। इसके बावजूद दूरसंचार मंत्रालय इस मसले पर अभी तक शायद अपना मन नहीं बना पाया है।
बीआईएफ के अध्यक्ष टी वी रामचंद्रन कहते हैं, ‘अगर इन स्पेक्ट्रम बैंड को लाइसेंस-मुक्त नहीं किया जाता है तो हम वाई-फाई हॉटस्पॉट एवं तीव्र गति वाले ब्रॉडबैंड के विस्तार के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। आखिर अमेरिका समेत 70 देशों ने इन स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से बाहर रखा है और हमें भी इस वैश्विक प्रवृत्ति का पालन करना चाहिए।’ बीआईएफ की अगुआई वाली टेक कंपनियां ई एवं वी-बैंड पर दूरसंचार कंपनियों की दलीलों को नकारते हुए कहती हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के 2012 के फैसले के मुताबिक सभी स्पेक्ट्रम की नीलामी किए जाने की जरूरत है। बीआईएफ के एक अधिकारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह आदेश केवल ‘एक्सेस स्पेक्ट्रम’ यानी उपभोक्ता को मोबाइल संपर्क मुहैया कराने के लिए जरूरी स्पेक्ट्रम पर ही लागू होता है। लेकिन इस व्यवस्था के तहत बैकहॉल या विभिन्न स्पेक्ट्रम बैंड में माइक्रोवेव का भी इस्तेमाल किया जा रहा था। अगर सभी स्पेक्ट्रम की नीलामी ही की जानी है तो फिर इस बैकहॉल स्पेक्ट्रम को भी वापस लेकर उसकी नए सिरे से नीलामी की जानी चाहिए।
बीआईएफ के मुताबिक अपने सीमित कवरेज के साथ वी-बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल मौजूदा 2.4 गीगाहट्र्ज और 5.8 गीगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के संवर्द्धन के लिए केवल इंडोर ही हो सकता है। लैपटॉप, टीवी या गूगल होम स्मार्ट वॉयस को कनेक्ट करने के लिए वाई-फाई राउटर्स इसी स्पेक्ट्रम पर काम करते हैं। इसके अलावा उपभोक्ताओं को इंटरनेट की बेहतर स्पीड एवं कनेक्टिविटी देने में भी यही बैंड इस्तेमाल होते हैं।
बीआईएफ के एक पदाधिकारी कहते हैं, ‘वी बैंड स्पेक्ट्रम का दूरसंचार कंपनियों के लिए बैकहॉल में कोई उपयोग नहीं है। उसके लिए उन्हें ई बैंड की जरूरत होगी। लेकिन वे अपने पास हरेक स्पेक्ट्रम चाहती हैं जिससे उपभोक्ता बेहतर सेवाओं से वंचित रहेंगे।’ ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं का अनुमान है कि इस स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं मिलेंगे लेकिन वाई-फाई एवं हाई स्पीड इंटरनेट के प्रसार के आर्थिक प्रभावों की तुलना में यह बहुत थोड़ा है। राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के एक अध्ययन के मुताबिक, इन बैंडो के इस्तेमाल से औसत इंटरनेट स्पीड में 50 फीसदी की वृद्धि होने पर सकल घरेलू उत्पाद में 0.15 फीसदी बढ़ सकता है। हालांकि एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकार की राय इससे अलग है। वह कहते हैं, ‘आज के समय में ई एवं वी बैंड की कम कीमत हो सकती है लेकिन तकनीकी विकास के साथ इस स्पेक्ट्रम पर मोटा प्रीमियम मिल सकता है।

ई-वी स्पेक्ट्रम बैंडक्वालकॉमगूगलदूरसंचारनीलामीफेसबुकरविशंकर प्रसादसीओएआई
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आईटी

बैंक संकट से सुस्त हो सकती है भारतीय IT सर्विस की वृद्धि !

March 21, 2023 7:44 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

लगातार बढ़ रही AI की मांग, केवल भारत में 45,000 से ज्यादा नौकरियां: टीमलीज

March 20, 2023 6:38 PM IST
आईटी

Infosys में कामकाज का लचीला मॉडल

March 6, 2023 11:51 PM IST
आईटी

बेतुके उत्साह से आई उद्योग में निराशा

March 3, 2023 11:47 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

आधी वैश्विक शहरी आबादी के सामने पानी की कमी का संकट

March 22, 2023 11:21 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

साउथ कोरिया कर रहा अमेरिका के साथ सैन्य अभ्यास, नॉर्थ कोरिया ने दाग डाली कई क्रूज मिसाइलें

March 22, 2023 4:02 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

ब्रिटेन की महंगाई दर ने पार किया अनुमान, विश्लेषक भी हो गए हैरान

March 22, 2023 3:35 PM IST
अन्य

UAPA के तहत साल 2022, 2023 के दौरान 23 व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित किया गया: सरकार

March 22, 2023 2:49 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

कैंसर मुक्त हुई नवरातिलोवा, TV कमेंट्री पर लौटी

March 22, 2023 11:54 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

विश्व की 26 प्रतिशत आबादी के पास सुरक्षित पीने का पानी नहीं, 46 फीसदी लोग बुनियादी स्वच्छता से वंचित: United Nations

March 22, 2023 11:43 AM IST

Trending Topics


  • Stocks To Watch
  • Share Market Today
  • Padma Awards 2023
  • US Federal Reserve
  • IndiGo
  • Covid-19 Updates
  • Delhi Weather Today
  • Rupee vs Dollar

सबकी नजर


राहुल की दोषसिद्धि और सदस्यता पर सवाल, दो वर्ष का कारावास और फिर जमानत

March 23, 2023 11:42 PM IST

संतुलन बनाने का प्रयास

March 23, 2023 11:36 PM IST

महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में बढ़ता रोजगार

March 23, 2023 11:33 PM IST

सुधार के जोखिम का आवश्यक है प्रबंधन

March 23, 2023 11:22 PM IST

सिर्फ KYC अनुपालन वाले ई-वॉलेट से निवेश स्वीकारे म्युचुअल फंड

March 23, 2023 11:16 PM IST

Latest News


  • राहुल की दोषसिद्धि और सदस्यता पर सवाल, दो वर्ष का कारावास और फिर जमानत
    by भाविनी मिश्रा
    March 23, 2023
  • संतुलन बनाने का प्रयास
    by बीएस संपादकीय
    March 23, 2023
  • महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में बढ़ता रोजगार
    by महेश व्यास
    March 23, 2023
  • सुधार के जोखिम का आवश्यक है प्रबंधन
    by ए के भट्टाचार्य
    March 23, 2023
  • सिर्फ KYC अनुपालन वाले ई-वॉलेट से निवेश स्वीकारे म्युचुअल फंड
    by बीएस संवाददाता
    March 23, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
57925.28 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स57925
-2890.5%
निफ्टी57925
-2890%
सीएनएक्स 50014404
-560.39%
रुपया-डॉलर82.64
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
SPARC182.1511.82
Star Cement114.556.16
Aegis Logistics393.956.10
G R Infraproject1027.956.09
Adani Green982.455.00
Adani Total Gas983.305.00
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
SPARC181.4511.39
G R Infraproject1028.756.58
Aegis Logistics393.855.90
Adani Transmissi1084.405.00
Adani Green982.355.00
Adani Total Gas982.055.00
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks To WatchShare Market TodayPadma Awards 2023US Federal ReserveIndiGoCovid-19 UpdatesDelhi Weather TodayRupee vs Dollar
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us