एक ओर सरकार कीमतों की बढ़ोतरी से जंग कर रही है, वहीं थोक मूल्य सूचकांक के लिए बनाए गए नए मानक को लागू करने में कोई तेजी नजर नहीं आ रही है।
पुनरीक्षित मानकों के लागू होने में अभी एक साल और वक्त लगेगा। इस बात की संभावना अधिक है कि यह नई सरकार के कार्यकाल में लागू हो।वर्तमान थोक मू्ल्य सूचकांक से केवल महंगाई के मुख्य बिंदुओं को दर्शाता है। अर्थशास्त्री और नीति नियंता कहते हैं कि वर्तमान थोक मूल्य सूचकांक महंगाई का प्रतिनिधित्व सही ढंग से नहीं करता है। यह उपभोक्ताओं के खरीद मूल्यों के बारे में सही जानकारी नहीं दे पाता है।
थोक मूल्य सूचकांक की पुनरीक्षित मानकों में इस सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है, लेकिन इसमें और भी चिंता बढ़ने की उम्मीद है। कुछ लोग कहते हैं नए सूचकांक से सरकार के लिए संकट और बढ़ जाएगा, क्योंकि नए मानकों के लागू होने से महंगाई और भी बढ़ी हुई नजर आने लगेगी।
2005 में ने प्रसिध्द अर्थशास्त्री अभिजीत सेन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था, जो इस समय योजना आयोग के सदस्य हैं। समिति को 1993-94 के आधार पर बने हुए थोक मूल्य सूचकांक को अद्यतन करना है। इसका कार्यकाल 31 मार्च को पूरा हो रहा है। यह रिपोर्ट किसी भी दिन आ सकती है, जिसमें 2004-05 को आधार वर्ष मानने हुए अनुशंसा की थी।
इसमें जिंसों वस्तुओं की संख्या बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है, जिसकी साप्ताहिक आधार पर समीक्षा कर महंगाई दर का आकलन किया जाता है। वर्तमान में इनकी संख्या 435 है।
नए मानकों में किए गए परिवर्तन में मूल्यों का नए आधार पर देखा जाएगा। उदाहरण के लिए ईंधन समूह का सूचकांक वर्तमान के 14.23 प्रतिशत से बढ़ेगा। हाल में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इसका वेट बढ़ने से महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी। भारत के मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा, ‘यह रिपोर्ट किसी दिन आ सकती है। बहरहाल इसे लागू करने में पूरे एक साल का वक्त लगेगा, क्योंकि अनुशंसा के मुताबिक आंकड़े एकत्र करना होगा।
पूरी सीरीज का परीक्षण करना होगा, जिससे वर्तमान आंकड़े प्रभावहीन हो जाएंगे।’ पुनरीक्षित थोक मूल्य सूचकांक से वर्तमान महंगाई के प्रभाव कम करने में मदद के बारे में उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि कोई अलग ट्रेंड सामने आएगा।