करीब तीन दशक तक भारत के आईटी सेवा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई-मेइटी) के अधीन स्वायत्त संस्था सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) अब अपना ध्यान टेक स्टार्टअप तंत्र और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) पर केंद्रित कर रही है।
इस बदलाव के तहत संस्था जल्द ही मझोले और छोटे शहरों में 10 नए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क शुरू करने जा रही है। इन पार्क का मकसद नए जमाने के प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा मुहैया कराना है। एसटीपीआई के महानिदेशक अरविंद कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि ये पार्क तकनीकी स्टार्टअप्स को कंप्यूटिंग ताकत, अनुसंधान सुविधाएं और नवाचार के लिए अनुकूल परिवेश मुहैया कराने पर ध्यान देंगे।
उन्होंने कहा, ‘आईटी सेवाओं में तेजी मेट्रो शहरों के इर्द-गिर्द केंद्रित थी। लेकिन स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकेंद्रीकृत करने की आवश्यकता है। हमारा लक्ष्य मझोले और छोटे शहरों की प्रतिभाओं का इस्तेमाल करना है। इन प्रतिभाओं का बड़े पैमाने पर उपयोग नहीं हुआ है। लेकिन उनमें भारत की तकनीकी क्रांति में योगदान देने की अपार संभावनाएं हैं।’
एसटीपीआई इस समय देश में 65 केंद्रों का परिचालन करता है। इनमें से 57 मझोले और छोटे शहरों में हैं। सरकार ने हाल में विस्तार के अगले चरण के तहत 20 अतिरिक्त एसटीपीआई केंद्र लगाने की मंजूरी दी है। नए पार्को में ऑफिस स्पेस के अलावा और भी चीजें होंगी। साथ ही वे क्लाउड और जीपीयू सेवाओं समेत उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर से भी लैस होंगे।
एआई, मशीन लर्निंग और अन्य डीप-टेक स्टार्टअप की मदद के लिए एसटीपीआई ने किफायती जीपीयू सेवाएं मुहैया कराने के लिए योट्टा इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ भागीदारी की है। ये जीपीयू सेवाएं एआई मॉडल तैयार करने के लिए जरूरी हैं। कुमार ने कहा, ‘हम ऐसे ऐप्लीकेशनों की जरूरत पूरी कर रहे हैं जिनके लिए नए स्टार्टअप को अक्सर संघर्ष करना पड़ता है।’
योट्टा के अलावा एसटीपीआई क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने के लिए अन्य भारतीय क्लाउड कंपनी ईएसडीएस सॉफ्टवेयर सॉल्युशंस के साथ अपनी मौजूदा भागीदारी बढ़ाने की भी योजना बना रही है। कुमार ने कहा, ‘इससे स्टार्टअप की क्लाउड तक पहुंच बनाने और तकनीकी नवाचार में प्रवेश की बाधा दूर करने में मदद मिलेगी।’ यह पहल ऐसे समय सामने आई है जब भारत का स्टार्टअप जगत तेज वृद्धि दर्ज कर रहा है, लेकिन कई कंपनियां बेंगलूरु, मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर जैसे महानगरीय केंद्रों तक ही सीमित हैं।