दूरसंचार नियामक ने प्रायोगिक परियोजनाओं के संचालन के लिए दिल्ली हवाईअड्डा, स्मार्ट शहर भोपाल, बेंगलूरु मेट्रो और गुजरात में दीनदयाल बंदरगाह (कांडला) को चिह्नित किया है जहां पर स्ट्रीट फर्नीचर और हवाई केबल का इस्तेमाल कर छोटे सेलों की तैनाती की जाएगी।
प्रायोगिक परियोजना विशेष तौर पर 5जी सेवाएं लॉन्च होने पर जरूरी नियामकीय और नीतिगत हस्तक्षेपों को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि तब प्रति इकाई क्षेत्रफल में बड़ी मात्रा में ट्रैफिक को संभालने के लिए छोटे सेल रीढ़ का काम करेंगे।
4जी की तरह ही 5जी के लिए भी बड़े टावर लगाए जाएंगे फिर भी छोटे सेलों के प्रसार से डेटा की उच्च गति और विलंबता में कमी सुनिश्चित होगी। ऐसा विशेष कर उच्च बैंड स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल से किया जा सकेगा। छोटे सेलों का कवरेज क्षेत्रफल 10 मीटर से लेकर कुछ किलोमीटर तक होता है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) में छोटे सेलों को शामिल करने के लिए जोर लगा रहा है।
योजना में कांडला के लिए वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल को, एयरटेल, रिलायंस और वोडफोन को दिल्ली हवाईअड्डा, एयरटेल और वोडफोन को भोपाल और बेंगलूरु मेट्रो के लिए रिलायंस तथा बीएसएनएल जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं से संपर्क करने की बात है।
चिह्नित आईपी1 (बुनियादी ढांचा प्रदाता लाइसेंस धारक) साझेदारों में भोपाल के लिए इंडस टावर, बेंगलूरु के लिए एटीसी टेलीकॉम, दिल्ली के लिए एक्सेंड टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर और कांडला के लिए समिट डिजीटेल शामिल हैं।
स्ट्रीट फर्नीचर में गलियों और सड़कों पर लगाए जाने वाले अधिकांश उपकरण आते हैं जैसे कि स्ट्रीट लाइट, यातायात चिह्न, बस स्टॉप, टैक्सी स्टैंड, सार्वजनिक शौचालय और पोस्ट बॉक्स।
स्ट्रीट फर्नीचर और हवाई केवल के इस्तेमाल से मार्ग के अधिकार की उन विभिन्न चुनौतियों से मुक्ति मिलती है जिनका सामना देश को भूमिगत खुदाई के समय करना होता है। भूमिगत खुदाई का काम समय खपाने वाली और जटिल प्रक्रिया होती है।
प्रायोगिक परियोजना के कई उद्देश्य हैं जिनमें छोटे सेलों की तैनाती के लिए उपयुक्त स्ट्रीट फर्नीचर की पहचान करना, जरूरी सूक्ष्म बदलावों को चिह्नित करना और स्ट्रीट फर्नीचर, छोटे सेल और हवाई फाइबर को बहुत ही किफायती तथा सक्षम तरीके से स्थापित करने और साझा करने की सबसे अच्छे तरीके का विकास और सिफारिश करना शामिल है।