कभी सोचा है कि आपने एक फोन घुमाया और दूसरे छोर से आपसे ‘वेब’ बात कर रहा है। क्यों चकरा गए? जी हां हम यहां वर्ल्ड वाइड वेब की ही बात कर रहे हैं, जिसे आप आमतौर पर अपने कंप्यूटर पर इस्तेमाल करते हैं।
अगर आईटी दिग्गज आईबीएम की मानें तो अगले पांच सालों में ऐसा मुमकिन हो सकेगा।
दरअसल, जिसे तेजी से देश में मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए आईबीएम चाहती है कि लोग जिस तरह अपने पर्सनल कंप्यूटर पर वेब का इस्तेमाल करते हैं, उसी आसानी के साथ वे इसे अपने मोबाइल फोन पर भी इस्तेमाल कर सकें।
देश में फिलहाल 3 करोड़ पर्सनल कंप्यूटर उपभोक्ताओं की तुलना में 33.5 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं और दिन पर दिन इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है।
आईबीएम के इंस्टीटयूट ऑफ बिजनेस वैल्यू के अनुमान के मुताबिक 2011 तक दुनिया भर में मोबाइल फोन पर वेब का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 1 अरब तक पहुंच जाएगी।
आईबीएम की भारतीय शोध टीम ‘स्पोकन वेब’ नाम की एक परियोजना पर काम कर रही है। इसके अलावा दूसरे 6 देशों की 8 प्रयोगशालाओं में भी आईबीएम इस परियोजना पर काम कर रही है। इतना ही नहीं आईबीएम ने हाल ही में आंध्र प्रदेश में एक पायलट परियोजना पूरी की है जिसमें ‘स्पोकन वेब’ की अवधारणा को ही लागू किया गया था।
आईबीएम इंडिया रिसर्च लैबोरेटरी (आईआरएल) के निदेशक गुरुदत्त बनावर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस परियोजना को काफी सफलता मिली थी। हमने करीब 100 गांव वालों के साथ ही शुरूआत की थी। हालांकि परियोजना की सफलता को देखने के बाद सैकड़ों गांव वाले इसमें शामिल हुए।’
बात करने वाला वेब भी वर्ल्ड वाइड वेब की तरह ही काम करता है। जिस तरह वेब वेबसाइटों का संग्रह है, उसी तरह बात करने वाला वेब वॉयस साइटों का नेटवर्क है। इन वॉयस साइटों का इस्तेमाल आप टेलीफोन पर कर सकते हैं।
कॉल करने वाला खुद अपना वॉयस साइट बना सकता है या फिर दूसरों की वॉयस साइटों का इस्तेमाल कर सकता है।