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लो आया जमाना नेटटॉप का

Last Updated- December 08, 2022 | 7:06 AM IST

इंटरनेट आज शहरी जिंदगी की एक जरूरत बन चुका है। लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके लिए जरूरत होती है एक कंप्यूटर की, जो काफी जगह लेता है।


इसीलिए लैपटॉप की मांग में इतना इजाफा हुआ। लेकिन इनकी कीमत काफी ज्यादा है। इसीलिए इस साल जून से एक नए युग की शुरुआत हुई।

अब देसी और बहुराष्ट्रीय कंप्यूटर निर्माता कंपनियां आसूज, एचसीएल इन्फोसिस्टम और विप्रो एक नए तरह के कंप्यूटर को बाजार में बढ़ाने में जुट गई हैं।

इन कंप्यूटरों को उन्होंने नाम दिया नेटटॉप का, जो इंटेल के एटम प्रोसेसरों पर काम करते हैं। अब तो डेल, एचपी और लेनेवो भी इन नेटटॉप के बाजार में जल्द ही उतरने वाली हैं।

इस सिस्टम को तैयार करने में केवल 6000 रुपये की लागत आती है। इस लागत में मॉनिटर की कीमत शामिल नहीं है।

हालांकि, इसमें कंपनियां सिस्टम को 11 से 18 हजार रुपये के बीच में बेचने की तैयार कर रही हैं। दरअसल, इस कीमत में मॉनिटर की लागत और वैकल्पिक सीडी या डीवीडी भी शामिल होगा। आप या तो पुराने वाले भारी भरकम मॉनिटर इसके साथ ले सकते हैं या फिर पतले वाले एलसीडी मॉनिटरों को।

आप जिस तरह की सुविधा लेंगे, आपको उतनी कीमत चुकानी होगी। इस नेटटॉप में आपको एक प्रिंटर और यूएसबी पोर्ट की भी मिलेगी। मतलब आप अपने मनपंसद वेबपेज का प्रिंट भी ले सकते और जरूरी चीजों को सेव भी करके रख सकते हैं।

इंटेल इंडिया के मैनेजिंग डाइरेक्टर (सेल्स ऐंड मार्केटिंग) रामामूर्ति शिवकुमार का कहना है कि, ‘इसे खास तौर पर ईमेल और इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिए बनाया गया है। ये नेटटॉप या नेटबुक्स शिक्षा, मनोरंजन, सोशल नेटवर्किंग, ईमेल, मैसेज, सर्फिंग और इंटरनेट के सहारे दूसरे काम करने के लिए बनाया गया है।

साथ ही, इस पर बेसिक एप्लीकेशंस को भी चला सकते हैं। इसकी कीमत भी काफी कम है, जिससे यह आराम से लोगों की पहुंच में आ जाता है।’ उनका कहना है, ‘आप इस पर हाई-फाई गेम नहीं खेल सकते क्योंकि यह इसका मकसद नहीं है।’

यह इतनी जबरदस्त चीज है, तो जून से पहले इंटेल ने इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया? उनका जवाब था, ‘दरअसल, तब हमारे पास जरूरत के मुताबिक प्रोसेसर नहीं थे। लेकिन अब हमारा पूरा ध्यान नेटटॉप्स पर ही केंद्रित है। हम इसकी मांग को जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं।

इसके अलावा, हम नोटबुक्स की तरफ भी काफी ध्यान दे रहे हैं। दरअसल, इस साल जून से हमें नोटबुक्स की बिक्री में काफी तेजी देखने को मिली है।

मजे की बात यह है कि आज की तारीख में विकसित मुल्कों से भी इसकी काफी मांग आ रही है।’ इन नेटबुक्स का वजन एक किलोग्राम से भी कम है और इसे काफी कम बिजली की जरूरत होती है।

जहां साधारण कंप्यूटरों में कम से कम 60 वॉट बिजली की खपत होती है, वहीं नेटबुक्स को सिर्फ 10 वॉट बिजली की जरूरत होती है। साथ ही, इससे ज्यादा शोर भी नहीं होता क्योंकि इसमें फैन का इस्तेमाल कम से कम होता है। शिवकुमार के मुताबिक यह एक नए युग की शुरुआत है।

दरअसल, इंटेल की कम बजट वाले कंप्यूटरों में दिलचस्पी शुरू हुई आसूज के ई बॉक्स की कामयाबी के बाद। इसी के बाद उसे अहसास हुआ कि सस्ते कंप्यूटरों का बाजार उभरते और विकसित मुल्कों में एक साथ मौजूद है। नेटबुक असल में पैदा हुआ इंटेल के नए छोटे, लेकिन सस्ते प्रोसेसर इंटेल एटम की मेहरबानी से।

इस प्रोसेसर को पहले कंपनी ने ‘डाइमंडविला’ का नाम दिया था। मजे की बात यह है कि चेन्नई स्थित कंपनी नोवाटियम, एमटीएनएल के साथ मिलकर ऐसे सस्ते कंप्यूटरों को बेच रही है, जिसकी कीमत 10 हजार रुपये है। इसमें आपको नेट की सुविधा के साथ मॉनिटर और दूसरी सुविधाएं भी मिलती हैं।

इसके अलावा, कंपनी ने नेटपीसी के नाम से भी एक उत्पाद को बाजार में उतार रखा है, जिसकी कीमत सिर्फ 4,999 रुपये है। लेकिन नोवाटियम एक मैनेज्ड सर्विस है। मतलब यह हुआ है कि आप इसके तहत अपने डाटा नोवाटियम सर्वरों में सेव कर सकते हैं।

हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक यह छोटे और मझोले उद्यमों के लिए एक अच्छी सुविधा है। इसे लोगों की तरफ से भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। अब तक बाजार में सात हजार से ज्यादा नेटबुक बिक चुके हैं।

दरअसल, दुनिया भर में यह एक नया सेगमेंट है, लेकिन यह काफी तरक्की से बढ़ रहा है। रिसर्च फर्म आईसीडी के मुताबिक 2007 में जहां ऐसे सिर्फ पांच लाख कंप्यूटर बिके थे, लेकिन 2012 तक यह तादाद 90 लाख तक पहुंच सकती है।

दरअसल इसकी तरक्की में सबसे बड़ा योगदान है विकसित मुल्कों में दूसरे कंप्यूटरों के बाजार में इजाफे का। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा ने इस बारे में कहा है कि, ‘सूचना प्रोद्यौगिक विभाग का असल जोर मुल्क में कंप्यूटरों के इस्तेमाल को बढ़ावा ही होगा।’

आज सरकार कई मुद्दों पर इस उद्योग के बड़े नामों के साथ चर्चा करने में जुटी हुई है,  इन्हीं वजहों से ही तो आजतक भारत इंटरनेट के मामले में इतना पीछे है। शिवकुमार के मुताबिक इंटेल को इस बात का पूरा भरोसा है कि नेटटॉप भारत सरकार के इस सपने को जरूर पूरा करेगा।

First Published - December 4, 2008 | 10:14 PM IST

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