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बुध्दूबक्से पर चढ़ता ‘फुल्ली फालतू’ का खुमार

Last Updated- December 07, 2022 | 11:45 PM IST

अपने मुल्क में भी अब मशहूर फिल्मों का मजाकिया संस्करण बनने का रिवाज शुरू हो गया है।


जरा टीवी पर नजरें गड़ाए रखिए, पता नहीं एमटीवी कब आपकी कौनसी पसंदीदा फिल्म का मजाकिया संस्करण बुद्धु बक्से पर दिखाई दे। दरअसल एमटीवी पर इन दिनों स्पूफ मूवीज (किसी फिल्म की मजाकिया तर्ज) का दौर चल रहा है।

एमटीवी के वीजे साइरस साहूकार ने हाल ही में तारे जमीन पर के एमटीवी संस्करण बेचारे जमीन पर में दर्शील सफारी की भूमिका निभाई। एमटीवी की इन फिल्मों को दर्शकों का प्यार भी मिल रहा है। कुल मिलाकर एमटीवी देश में एक नये तरह का ट्रेंड शुरू कर रहा है।

गौरतलब है कि हॉलीवुड में तो अरसे से मशहूर फिल्मों का मजाकिया संस्करण बनाने की परंपरा रही है और अब बॉलीवुड में भी एमटीवी के जरिये ऐसा होने लगा है। कुछ भी हो इस अलग सी कोशिश के लिए एमटीवी की पीठ तो ठोकी ही जानी चाहिए। एमटीवी की स्पूफ मूवीज देश में सिनेमा के क्षेत्र में एक नई तरह की शुरुआत कर रही हैं।

अगर आपने अभी तक इन फिल्मों को नहीं देखा है तो आपको इनके नाम सुनकर ही हंसी आ सकती है। मसलन तारे जमीन पर की तर्ज पर बेचारे जमीन पर, ‘जोधा अकबर’ की तर्ज पर ‘जादू एक बार ‘ और ‘चक दे इंडिया’ की तर्ज पर ‘चेक दे इंडिया’ जैसे नाम आपको गुदगुदाएंगे ही। ये सभी फिल्में एमटीवी पर चल रहे फुली फालतू थीम पर चल रहे फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा हैं।

एमटीवी इंडिया में क्रिएटिव ऐंड कंटेंट के महाप्रबंधक और उपाध्यक्ष आशीष पाटिल कहते हैं, ‘हंसी-मजाक हमेशा से ही एमटीवी के कार्यक्रमों का अहम हिस्सा रहा है।’ पाटिल कहते हैं कि 1999 में शोले के स्पूफ वर्जन से ही इसकी शुरुआत हुई है। इसके साथ ही फुली फालतू थीम की भी शुरुआत हुई।

और साथ ही साथ जय, वीरू, ठाकुर और गब्बर सिंह जैसे किरदारों के मजाकिया किरदार भी लोकप्रिय होते गए। विज्ञापन उद्योग ने भी बाद में इन चरित्रों को जमकर भुनाया। पाटिल कहते हैं, ‘हमें लगता है कि हमने एक नई पीढ़ी के लिए शोले को नये अंदाज में पेश किया। कई लोगों ने हमारी शोले देखने के बाद शायद शोले फिल्म देखी होगी।

लेकिन शोले के बाद तकरीबन सात साल का सूखा पड़ गया और एमटीवी के जरिये कोई भी ऐसी फिल्म हमें देखने को नहीं मिली। सात साल बाद धूम की तर्ज पर घूम बनाई गई। चैनल का दावा है कि घूम ने रेटिंग के मामले में 2006 के फुटबाल विश्व कप को भी पीछे छोड़ दिया था। और तो और घूम की स्क्रीनिंग आइनॉक्स मल्टीप्लेक्स में भी हुई थी।

घूम पांच शहरों में तीन हफ्तों तक चली भी थी। घूम की सफलता की रफ्तार यहीं नहीं रुकती। सहारा मूवीज ने इसके टीवी अधिकार खरीद लिए तो गोल्ड वीडियो ने इसके डीवीडी अधिकार हासिल किए। घूम बहुत कम बजट में बनकर तैयार हुई थी।

हालांकि, एमटीवी ने इसकी लागत के बारे में कुछ भी नहीं बताया लेकिन इतना जरूर बताया कि धूम फिल्म के बजट के लगभग 0.001 फीसदी में घूम बनकर तैयार हुई। दूसरी  तरफ हॉलीवुड में तो बड़े पैमाने पर स्पूफ फिल्में बनती हैं और बढ़िया मुनाफा भी कमाती हैं। जेम्स बॉन्ड की फिल्मों की तर्ज पर बनाई जाने वाली स्पूफ फिल्में तगड़ी कमाई करती रही हैं।

‘नेकेड गन’ सीरिज ने जहां 21.5 करोड़ डॉलर की कमाई की तो वहीं ‘ऑस्टिन पावर्स’ की तीन कड़ियों से निर्माता की जेब में 47.2 करोड़ डॉलर आए। ‘स्टार वॉर्स’ और ‘स्टार ट्रेक’ की पैरोडी को बनाने में जहां 2.2 करोड़ डॉलर खर्च हुए तो वहीं इसने 3.8 करोड़ डॉलर कमा कर भी दिए।

आमतौर पर ज्यादातर स्पूफ फिल्में कम बजट में ही बनाई जाती हैं और डीवीडी और टेलीविजन अधिकारों के जरिये ही इनकी कमाई होती है। अब सवाल यह है कि क्या भारत में भी यह प्रयोग सफल रहेगा। एमटीवी को तो इससे बहुत उम्मीदें हैं। और चैनल ने इसको लेकर प्रयोग भी किए हैं। ज्यादा वक्त नहीं हुआ है जब चैनल के वीजे साइरस साहूकार ने सिमी ग्रेवाल का रूप धरकर कार्यक्रम बनाया था।

एमटीवी के लिए बेचारे जमीन पर निर्देशित करने वाले महेश ऐने का कहना है, ‘प्रोडक्शन क्वालिटी लाजवाब रही है। इसको बड़े पर्दे के लिए शूट किया गया है। हमने उन्हीं लोकेशन का इस्तेमाल भी किया है जिनको मूल फिल्म में दिखाया गया है। ऐसी फिल्में बनाते समय आपको कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है। अगर जरा सी चूक हुई तो आप अपने मकसद से भटक सकते हैं। ‘

इस पूरी कवायद में अहम भूमिका निभाने वाले साइरस साहूकार का कहना है, ‘शूट में बहुत ज्याद मजा आया। हम लोग खूब हंसते थे लेकिन थकान भी खूब हो जाया करती थी। बुनियादी तौर मैं सेटायर पर आधारित कॉमेडी करता रहा हूं लेकिन मुझे स्पूफ्स करने में भी मजा आ रहा है। दरअसल हंसने और हंसाने में बड़ा आनंद है। ‘

ऐने इससे पहले मूवर्स ऐंड शेकर्स बना चुके हैं और आशुतोष गोवारीकर की स्वदेस के सिनेमैटोग्राफर रह चुके  हैं। ऐने कहते हैं कि तारे जमीन पर का स्पूफ तैयार करते वक्त बेहद सावधानी बरतने की जरुरत थी क्योंकि कोई भी डिसलेक्सिया जैसे गंभीर मुद्दे का मजाक बनाना पसंद नहीं करता।

इन फिल्मों को हूबहू मूल फिल्मों के चरित्रों की नकल पर बनाया जा रहा है। एमटीवी को मिल रही सफलता को देखते हुए इसके प्रतिद्धद्वी चैनल, चैनल वी भी इस तरह के कार्यक्रम बना रहा है। चैनल वी ने दक्षिण के सुपरस्टार रजनीकांत के चरित्र की नकल करते हुए ‘गन मुरुगन’ नाम का कार्यक्रम शुरू किया है। 

First Published - October 13, 2008 | 2:17 AM IST

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