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वित्त विधेयक 20 के अनुरूप आईटीआर फॉर्म में बदलाव

Last Updated- December 12, 2022 | 6:17 AM IST

आयकर विभाग ने वित्त विधेयक 2020 में किए गए बदलाव के साथ तालमेट करते हुए नया आयकर रिटर्न (आईटीआर) पेश किया है। बहरहाल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोविड-19 संकट को देखते हुए आईटीआर में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं किया है।
आईटीआर में बदलाव के बारे में टैक्समैन के कर विशेषज्ञ नवीन वाधवा ने कहा कि वित्त विधेयक 2020 में एक संशोधन के मुताबिक पात्र स्टार्टअप द्वारा आवंटित इंप्लाइज स्टॉक ऑप्शन (ईएसओपी) पर कर का भुगतान टालने की अनुमति है।  वाधवा ने कहा कि नियमों में संशोधन के मुताबिक ये करदाता आईटीआर-1 और आईटीआर-4 में अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के पात्र नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि इन दो फार्मों में संबंधित बदलाव किए गए हैं।
आईटीआर फॉर्म 1 (सहज) और आईटीआर फॉर्म 4 (सुगम) सामान्य फॉर्म हैं जिनके माध्यम से बड़े पैमाने प छोटे व मझोले करदाता आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं। सहज के माध्यम से 50 लाख रुपये तक वेतन, एक संपत्ति और ब्याज दरों आदि से आमदनी करने वाला व्यक्ति आयकर रिटर्न दाखिल कर सकता है। इसी तरह से सुगम के माध्यम से कोई व्यक्ति, अविभाजित हिंदू परिवार और फर्में (सीमित दायित्व साझेदारी से इतर) अपने 50 लाख रुपये तक की बिजनेस और पेशे से होने वाली आमदनी पर आयकर रिटर्न दाखिल कर सकती हैं।
अगर किसी कर्मचारी को पात्र स्टार्टअप से ईएसओपी मिला हुआ है, जिस पर कर टाला गया है, वह आईटीआर-2 और 3 दाखिल कर सकता है। वाधवा ने कहा कि शेड्यूल टीटीआई के पार्ट बी में कर राशि के खुलासे की जरूरत होती है, जिसे टाला जा सकता है।  इसी तरह से वित्त अधिनियम, 2020 में 194एन में संशोधन किया गया है, जिसमें हर बैंकिंग कंपनी, सहकारी बैंक या डाकघर को उस स्थिति में 2 प्रतिशत टीडीएस काटने को कहा गया है, अगर करदाता 20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की निकासी करता है और अगर 1 करोड़ से ज्यादा निकासी करता है तो 5 प्रतिशत टीडीएस काटना होगा। इस बदलाव के मुताबिक संशोधन किया गया है, जिससे ये करदाता सहज फॉर्म नहीं भर सकते।

First Published - April 5, 2021 | 12:21 AM IST

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