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पहले डिजिटल मीडिया का नियमन हो: केंद्र

Last Updated- December 15, 2022 | 1:48 AM IST

केंद्र ने कहा है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय मीडिया नियमन के मुद्दे पर कोई फैसला लेता है तो पहले यह डिजिटल मीडिया के संबंध में लिया जाना चाहिए क्योंकि यह बहुत तेजी से लोगों के बीच पहुंचता है और व्हाट्सऐप, ट्विटर तथा फेसबुक जैसी ऐप्लीकेशन के चलते किसी भी जानकारी के वायरल होने की संभावना रहती है।

सरकार ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के लिए पर्याप्त रूपरेखा एवं न्यायिक निर्णय मौजूद हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से दायर जवाबी हलफनामे में कहा गया, ‘अगर न्यायालय कोई फैसला लेता है तो यह पहले डिजिटल मीडिया के संदर्भ में लिया जाना चाहिए क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया से संबंधित पर्याप्त रूपरेखा एवं न्यायिक निर्णय पहले से मौजूद हैं।’

इसमें कहा गया, ‘मुख्यधारा के मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट) में प्रकाशन, प्रसारण एक बार ही होता है, वहीं डिजिटल मीडिया की व्यापक पाठकों-दर्शकों तक पहुंच तेजी से होती है तथा व्हाट्सऐप, ट्विटर और फेसबुक जैसी कई इलेक्ट्रॉनिक एप्लिकेशन्स की वजह से जानकारी के वायरल होने की भी संभावना है। यह हलफनामा एक लंबित मामले में दायर किया गया है, जिसमें शीर्ष न्यायालय सुदर्शन टीवी के बिंदास बोल कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया कि चैनल सरकारी सेवाओं में मुस्लिमों की घुसपैठ की एक बड़ी साजिश का खुलासा करेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने 15 सितंबर को बिंदास बोल की दो कडिय़ों के प्रसारण पर मंगलवार को दो दिन के लिए रोक लगा दी थी। न्यायालय ने कहा कि पहली नजर में ये मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने वाली प्रतीत होती हैं। पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के स्व नियमन में मदद के लिए एक समिति गठित की जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘हमारी राय है कि हम पांच प्रबुद्ध नागरिकों की एक समिति गठित कर सकते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कतिपय मानक तैयार करेगी। हम राजनीतिक विभाजनकारी प्रकृति नहीं चाहते और हमें ऐसे सदस्य चाहिए, जिनकी प्रतिष्ठा हो।

First Published - September 18, 2020 | 12:48 AM IST

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