facebookmetapixel
Swiggy ने QIP के जरिए जुटाए ₹10,000 करोड़, ग्लोबल और घरेलू निवेशकों का मिला जबरदस्त रिस्पांससिडनी के बॉन्डी बीच पर यहूदी समारोह के पास गोलीबारी, कम से कम 10 लोगों की मौतऑटो इंडस्ट्री का नया फॉर्मूला: नई कारें कम, फेसलिफ्ट ज्यादा; 2026 में बदलेगा भारत का व्हीकल मार्केटDelhi Pollution: दिल्ली-NCR में खतरनाक प्रदूषण, CAQM ने आउटडोर खेलों पर लगाया रोकशेयर बाजार में इस हफ्ते क्यों मचेगी उथल-पुथल? WPI, विदेशी निवेशक और ग्लोबल संकेत तय करेंगे चालFPI की निकासी जारी, दिसंबर के 12 दिनों में ही ₹18 हजार करोड़ उड़ गएसस्ता टिकट या बड़ा धोखा? हर्ष गोयनका की कहानी ने खोल दी एयरलाइंस की पोलMCap: टॉप 8 कंपनियों का मार्केट वैल्यू ₹79,129 करोड़ घटा; Bajaj Finance और ICICI Bank सबसे बड़े नुकसान मेंRobert Kiyosaki ने खोले 6 निवेश के राज, जिन्हें अपनाकर आप बन सकते हैं अमीर!IRCTC टिकट बुकिंग में नया सिस्टम, फर्जी अकाउंट्स अब नहीं बचेंगे

दिशानिर्देशों का उल्लंघन ट्विटर पर होगी कार्रवाई!

Last Updated- December 12, 2022 | 8:51 AM IST

सरकार ने कहा है कि उसके आदेशों का पालन नहीं करने के कारण सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को दंडित किया जा सकता है। सरकार ने ट्विटर को किसान आंदोलन से जुड़े एक हैशटैग के साथ की गई टिप्पणियों और सामग्री को हटाने के लिए कहा था, जिसे इस कंपनी ने नहीं माना। विवादित हैशटैग में ‘जीनोसाइड’ यानी ‘नरसंहार’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कल शाम ट्विटर को पत्र भेजा और कहा कि इस माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने ‘मोदीप्लानिंगफार्मरजीनोसाइड’ हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे ट्वीट और अकाउंट पर लगी रोक ‘अपनी मर्जी’ से हटा दी। इस हैशटैग का इस्तेमाल शनिवार से शुरू हो गया था। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने पत्र में कहा, ‘ट्विटर मध्यस्थ है और केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है। वह अपनी मर्जी से तय नहीं कर सकता कि कोई निर्देश अव्यावहारिक है या अनुचित है।’ इस बारे में जब बिजनेस स्टैंडर्ड ने ट्विटर से पूछा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।
उधर सरकार के इस आदेश और सख्त रुख के बीच किसान आंदोलन पर विदेश से प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। यह सिलसिला कल शुरू हुआ, जब पॉप स्टार रिहाना और जलवायु परिवर्तन के मसले पर आवाज उठाने वाली ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट किए। दोनों ने किसान आंदोलन के कारण नई दिल्ली में इंटरनेट बंद किए जाने के बारे में ट्वीट किए।  
रिहाना और थनबर्ग के ट्वीट तथा उन पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आने से पहले मंत्रालय ने सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत ऐसी सामग्री हटाने का निर्देश दिया था। इनमें पत्रिका कारवां, अभिनेता सुशांत सिंह एवं किसान संगठन किसान एकता मोर्चा जैसे अकाउंट शामिल थे। ट्विटर ने सोमवार को इन अकाउंट पर रोक लगा दी थी मगर कुछ घंटों बाद खुद ही रोक हटा ली। बताया गया कि ट्विटर ने इस दलील के साथ रोक हटाई कि वे ट्वीट उसकी सेवा शर्तों का उल्लंघन नहीं करते, बोलने की आजादी के तहत सही हैं और खबरों से जुड़े हैं।
मंत्रालय ने कल की चि_ी में कहा कि ट्विटर कोई अपील अधिकरण नहीं है, जो फैसला कर सके कि उसके प्लेटफॉर्म पर मौजूद सामग्री सार्वजनिक व्यवस्था बिगाडऩे वाली है या नहीं। मंत्रालय ने कहा कि यदि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत जारी निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो अधिनियम की ही धारा 69ए(3) के तहत दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी है। धारा 69ए के तहत सरकार को किसी भी मध्यस्थ (जैसे ट्विटर, फेसबुक, गूगल आदि) पर प्रकाशित सामग्री हटाने का आदेश देने का अधिकार है। धारा 69ए(3) कहती है कि यदि मध्यस्थ सरकार के इस आदेश को नहीं मानता है तो उसे सात साल तक का कारावास दिया जा सकता है और उसे जुर्माना भी देना होगा।
ट्विटर पर बढ़ी हलचल
ट्विटर किसानों के मौजूदा आंदोलन को आगे बढ़ाने का प्रमुख जरिया बनकर उभरा है। इस साइट पर बुधवार को थनबर्ग और रिहाना के पक्ष तथा विपक्ष में प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आती रही। किसान आंदोलन पर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और पंजाबी फिल्म उद्योग के प्रमुख अभिनेता दिलजीत दोसांझ के बीच चली आ रही जबानी जंग भी और तेज हो गई। अक्षय कुमार और अजय देवगन समेत कई अभिनेता-अभिनेत्रियों ने भी इस बारे में ट्वीट किए।
इस मसले पर प्रवासी भारतीय भी मुखर हैं, जिसकी वजह से विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने रिहाना और थनबर्ग की टिप्पणियों पर सख्त प्रतिक्रिया की। साथ ही उसने दूसरों को भी यह मुद्दा गहराई से समझने की सलाह दी। सरकार ने कहा, ‘अगर सेलेब्रिटी और दूसरी हस्तियां भी सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों के लालच में फंस जाएं तो यह सही और जिम्मेदारी भरा नहीं कहलाएगा।’ सरकार ने कहा कि संसद ने पूरी चर्चा के बाद इन कानूनों पर मुहर लगाई है और देश के कुछ हिस्सों में किसानों का बहुत छोटा वर्ग ही इनका विरोध कर रहा है। उसने यह भी कहा कि निहित स्वार्थ वाले कुछ गुटों ने गणतंत्र दिवस पर तोडफ़ोड़ की और उन्होंने ही भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश भी की है।

First Published - February 3, 2021 | 11:23 PM IST

संबंधित पोस्ट