देश में बीमा कंपनियों के बीच आगे निकलने की होड़ इस कदर मची हुई है कि अब कंपनियां बीमा पालिसियों के नवीकरण यानी पॉलिसी को फिर से आरंभ करने पर 50 फीसदी से भी अधिक की छूट दने को तैयार हैं।
अब एक अप्रैल को कंपनी बीमा योजना की करीब 25 से 30 फीसदी पॉलिसियों के नवीनीकरण पर बीमा कंपनियां प्रीमियम पर 60 फीसदी से ज्यादा की छूट दे चुकी हैं। हालांकि यह कदम इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) के उस फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें इरडा ने गैर-जीवन बीमा कंपनियों से कहा था कि वे जनवरी 2008 से अपने हिसाब से पॉलिसी की प्रीमियम लागू कर सकती हैं। इसके साथ ही स्थानीय बीमा कंपनियां प्रीमियम पर अच्छी छूट दे रही हैं।
उधर, ग्लोबल बीमा कंपनियां मंदी की दौर से गुजर रही हैं। लिहाजा, इस वक्त भारतीय कारोबार काफी आकर्षक दिख रहा है। इरडा के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-दिसंबर 2007 के दौरान, प्रोपर्टी पर इंश्योरेंस कवर के इच्छुक – कंपनियां और रिटेल- लोगों के प्रीमियम पर 25 फीसदी गिरावट आई है। हालांकि सामान्य बीमा कंपनियों ने वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में प्रोपर्टी पर बीमा कवर लेने वालों को 974 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया था।
नौ महीने पहले इरडा ने आग, इंजीनियरिंग और मोटर बीमा संबंधी पोर्टफोलियो में प्रीमियम की राशि आंशिक रूप से कम कर दी थी। इरडा ने बीमा कंपनियों से कहा था कि वे व्यक्तिगत बीमा पालिसियों (जो 10 करोड़ रुपये से अधिक की हों) पर पहले से निर्धारित टैरिफ दरों में 51.25 फीसदी, श्रेणीबध्द पालिसियों (जो 10 करोड़ रुपये से कम की हों) पर 43.75 फीसदी और निजी वाहन पर नुकसान के लिए 20 फीसदी तक की छूट दे सकती हैं।
हालांकि अब इरडा ने जनवरी 2008 से बीमा कंपनियों को यह आजादी दे दी है कि वे अपने हिसाब से बीमा प्रीमियम पर छूट दें। इरडा के मुताबिक नौ महीने के दौरान गैर-जीवन बीमा कंपनियों के आग से बचाव के लिए प्रस्तावित कुल प्रीमियम में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2006-07 में आग से बचाव संबंधी कुल प्रीमियम 3,482 करोड़ रुपये था, जो समीक्षाधीन अवधि में 18 फीसदी नीचे गिरकर 2,856 करोड़ रुपये रह गया।
गौरतलब है कि डीटैरिफिंग से पहले आग संबंधी बीमा में 10 फीसदी की वृध्दि दर्ज की जा रही थी। लेकिन आग संबंधी बीमा से कंपनियों को 974 करोड़ रुपये का घाटे का सामना करना पड़ा। लिहाजा कुल प्रीमियम में 25 फीसदी की गिरावट आई।इरडा के जनवरी 2007 से मूल्य नियंत्रण से बंदिशें हटाने के बाद बीमा कंपनियों ने वाहन दुर्घटना संबंधी प्रीमियम दरों में 20 फीसदी की कटौती कर दी थी।
हालांकि उपभोक्ताओं द्वारा गाड़ियों की अधिक खरीदारी से अपना वाहन बीमा क्षेत्र में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई।कंपनियों के इंजीनियरिंग बीमा पोर्टफोलियो में 4 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई थी। इस क्षेत्र से कुल प्रीमियम 1,011.63 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,051.30 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। नौ महीनों में स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में 57 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी जिससे कुल प्रीमियम 2,268.52 करोड़ से बढ़कर 3,558.84 करोड़ रुपये पहुंच गया था।
जनरल इंश्योरेंस कॉउंसिल के महासचिव के. एन. भंडारी ने बताया,”उपभोक्ताओं को डीटैरिफिंग (अलग-अलग मद में अलग- अलग प्रीमियम) से फायदा हुआ है। भारत में आग और इंजीनियरिंग संबंधी बीमा की प्रीमियम और अंतरराष्ट्रीय दरों मेें कोई तालमेल नहीं है। फिलहाल पूरा वैश्विक बाजार नरम है और यही वजह है कि पूरी दुनिया में प्रॉपर्टी इंश्योरेंस की कीमत में कमी आई है।”
साथ ही भंडारी ने यह भी बताया,”कुछ पालिसियों पर 50 से 60 फीसदी की छूट दी जा रही है लेकिन बीमा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली औसत छूट 25 से 27 फीसदी तक है।”