प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटर भारती एयरटेल ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को एक पत्र लिखकर कहा है कि देश में विमानन प्रणाली और दूरसंचार के सह-अस्तित्व के लिए 3.3 गीगाहट्र्ज से 3.67 गीगाहट्र्ज बैंड में किसी भी रडार का संचालन नहीं होना चाहिए। दूरसंचार कंपनी ने कहा है कि किसी भी मौजूदा परिचालन को 5जी नेटवर्क के परिचालन दायरे से बाहर 100 मेगाहट्र्ज अथवा अधिक बैंड में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
5जी सेवाओं के लॉन्च होने के साथ ही दुनिया भर में विमानन सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ गई है। एयरटेल में ट्राई से कहा है कि भारतीय विमानन प्रणालियों में तैनात रडार अल्टीमीटर के साथ 3.3 गीगाहट्र्ज बैंड में परिचालित 5जी प्रणाली के बीच किसी भी हस्तक्षेप की पहचान करना महत्त्वपूर्ण है। यह बैंड दूरसंचार कंपनियों के लिए काफी अहम है क्योंकि 5जी सेवाओं के लिए इसकी नीलामी होने जा रही है जो इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है।
एयरटेल ने दूरसंचार नियामक से यह भी कहा है कि 3.3 गीगाहट्र्ज बैंड और रडार प्रणाली के बीच पर्याप्त अंतर रखने की जरूरत है ताकि हवाई अड्डों और विमान के भीतर 5जी टावर अथवा मोबाइल फोन के चलाने से कोई समस्या न हो। इसके लिए विमानन रडार प्रणाली में ‘परमिटेड नॉइज फ्लोर’ यानी पर्याप्त अंतर के साथ बैंड को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
फिलहाल अमेरिका में विमानन कंपनियां और मोबाइल ऑपरेटर काफी करीब वाले फ्रीक्वेंसी बैंड में परिचालन कर रहे है। यही कारण है कि एमिरेट्स, एयर इंडिया और जैपनीज एयरलाइंस को उन अमेरिकी हवाई अड्डों के लिए अपनी उड़ानों को रद्द करना पड़ा था जहां 5जी सेवाएं शुरू की जा रही हैं।
विमानन कंपनियों का कहना है कि 5जी एयरवेव विमानों में तैनात उन उपकरणों के परिचालन को प्रभावित कर सकते हैं जो खराब मौसम में लैंडिंग और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए लगाए गए हैं। विमान में अल्टीमीटर की रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग जमीन से विमान की ऊंचाई को मापने और सुरक्षित लैंडिंग में मदद करने के लिए किया जाता है। हालांकि सी बैंड में 5जी एयरवेव अल्टीमीटर में इस्तेमाल की गई फ्रीक्वेंसी के करीब है। ऐसे में एक-दूसरे में हस्तक्षेप के कारण गंभीर खतरा हो सकता है।
हालांकि अमेरिकी दूरसंचार ऑपरेटरों ने जोर देकर कहा है कि कॉकपिट उपकरणों में ऐसा कोई हस्तक्षेप नहीं है।
हालांकि विमानन और दूरसंचार क्षेत्र इस विवादास्पद मुद्दे के समाधान की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मोबाइल ऑपरेटर एटीऐंडटी और वेरिजॉन ने एक अस्थायी समाधान निकाला है। दोनों कंपनियों ने फिलहाल हवाई अड्डों के 2 किलोमीटर के दायरे में 5जी नेटवर्क की तैनाती न करने का निर्णय लिया है। दोनों कंपनियां 19 जनवरी से अमेरिका में अपनी 5जी सेवाएं शुरू कर चुकी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मुद्दा भारत में उतना विवादास्पद नहीं हो सकता है लेकिन परीक्षण करने की आवश्यकता है। भारत में विमानन रडार प्रणाली में 4.2 गीगाहट्र्ज से 4.4 गीगाहट्र्ज बैंड (दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह) में फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में 5जी सेवाओं के लिए केवल 3.7 गीगाहट्र्ज तक स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जाएगा जबकि अमेरिका में 3.98 गीगाहट्र्ज का उपयोग किया जाता है। इसलिए यहां दोनों स्पेक्ट्रम के बीच पर्याप्त अंतर पहले से ही मौजूद है।