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नई टेक्नोलॉजी सीखो वरना नौकरी जाएगी: AI के दौर में IT कंपनियों की सख्त चेतावनी

AI और GenAI के बढ़ते असर के बीच IT कंपनियां अब उन्हीं कर्मचारियों को रख रही हैं जो नई स्किल्स सीखने को तैयार हैं, बाकी की नौकरी पर मंडरा रहा है खतरा।

Last Updated- August 01, 2025 | 8:49 AM IST
AI in IT sector

भारत की बड़ी आईटी सर्विस कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को साफ संकेत दे रही हैं – अगर नौकरी चाहिए, तो नई तकनीकें सीखनी होंगी, खासतौर पर AI और जनरेटिव AI (GenAI) से जुड़ी स्किल्स। जो कर्मचारी अपस्किल या रिस्किल नहीं कर पा रहे, उनके लिए अब नौकरी बचाना मुश्किल हो सकता है।

60 लाख लोगों को रोजगार देने वाले सेक्टर में बदल रहा माहौल

भारत का आईटी सेक्टर, जिसकी वैल्यू करीब $282 बिलियन (करीब ₹23 लाख करोड़) है, अब तक देश के सबसे बड़े संगठित रोजगार देने वालों में रहा है। लेकिन अब इस सेक्टर में लेऑफ (छंटनी) खुलकर की जा रही है। पहले इसे चुपचाप किया जाता था, अब कंपनियां इसे “इनवॉलंटरी एट्रिशन” कह रही हैं और खुलकर बयान भी दे रही हैं। Nasscom ने भी इस बदलाव को जरूरी बताया है और कहा है कि नई टेक्नोलॉजी के चलते अब पुराने स्किल्स की वैल्यू कम हो रही है, जिससे कंपनियों को वर्कफोर्स री-स्ट्रक्चर करनी पड़ रही है।

क्यों हो रहे हैं ये बदलाव?

  • पिछले दो सालों से आईटी कंपनियों की ग्रोथ धीमी रही है।
  • महंगाई, जियोपॉलिटिकल तनाव और घटता क्लाइंट खर्च इसके कारण हैं।
  • अब FY26 में भी कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा, इसलिए कंपनियां कॉस्ट कटिंग कर रही हैं और केवल उन्हीं कर्मचारियों को रख रही हैं, जो नई तकनीकों के साथ काम कर सकें।

यह भी पढ़ें: IT सेक्टर में बड़ा बदलाव! एक तरफ TCS में छंटनी का संकट, दूसरी ओर Infosys करेगा 20,000 फ्रेशर्स की भर्ती

कंपनियों की नई सोच: स्किल्स नहीं, तो नौकरी नहीं

KPIT Technologies के CEO किशोर पाटिल ने कहा, “अगर कोई नई स्किल नहीं सीख रहा है, तो वह हमारे लिए उपयोगी नहीं है।” उन्होंने कहा कि अब कंपनियां कॉलेज से हायरिंग और अनुभवी लोगों के चयन में भी “लर्नेबिलिटी” यानी सीखने की क्षमता पर ज़ोर दे रही हैं।

TCS ने उठाया पहला बड़ा कदम

TCS ने हाल ही में 12,000 से ज़्यादा मिड और सीनियर मैनेजमेंट कर्मियों को हटाया है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने री-स्किलिंग की कोशिश की लेकिन सिर्फ 2% स्टाफ को ही दोबारा कहीं तैनात कर पाए।

कंपनियां किसे रख रही हैं?

  • अब AI, डेटा साइंस और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ लोगों की डिमांड बढ़ रही है।
  • जूनियर और तेज़ी से सीखने वाले युवा कर्मचारी अब ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं।
  • जबकि पुराने स्किल्स वाले अनुभवी लोग नौकरी खो रहे हैं।

AI से बदला डेवलपर्स और मैनेजर्स का रोल

Cognizant ने बताया कि अब उनकी कंपनी में 30% कोड मशीन जनरेट कर रही है, जो 6 महीने पहले 20% थी। अब इंजीनियर कोडिंग कम करते हैं, बल्कि AI को मॉनिटर करते हैं। मैनेजर्स को इंसान और AI दोनों को मिलाकर काम करवाना आता होना चाहिए। Cognizant के CEO रवि कुमार ने कहा, “अगर आप AI का इस्तेमाल नहीं करते, तो प्रोग्रामर होते हुए भी पीछे रह जाएंगे।”

Happiest Minds और दूसरी कंपनियों ने भी शुरू की छंटनी

Happiest Minds ने भी कहा कि वे अब सिर्फ वही कर्मचारी रखेंगे, जिनकी स्किल्स क्लाइंट की डिमांड से मेल खाती हैं। जो नहीं सीख रहे, उन्हें कंपनी छोड़नी पड़ेगी।

आईटी सेक्टर में आया बड़ा ढांचा बदलाव

Pareekh Consulting के CEO परेख जैन ने कहा, “पहले इंडस्ट्री एक पिरामिड जैसी थी, जहां नीचे ज्यादा लोग होते थे। अब AI के कारण यह मॉडल डायमंड जैसी बन रही है, जहां मिड लेवल पर विशेषज्ञ ज्यादा होंगे और निचले स्तर पर कम।”

15 लाख से ज्यादा लोगों ने ली AI ट्रेनिंग

अब तक करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) आईटी प्रोफेशनल्स ने AI और GenAI की किसी न किसी लेवल पर ट्रेनिंग ले ली है। इनमें से 95,000 से ज्यादा लोग एडवांस सर्टिफाइड हैं, जिनमें AI क्लाउड, एम्बेडेड AI और एप्लाइड इंटेलिजेंस जैसे कोर्स शामिल हैं।

First Published - August 1, 2025 | 8:49 AM IST

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