भारत की बड़ी आईटी सर्विस कंपनियां अब अपने कर्मचारियों को साफ संकेत दे रही हैं – अगर नौकरी चाहिए, तो नई तकनीकें सीखनी होंगी, खासतौर पर AI और जनरेटिव AI (GenAI) से जुड़ी स्किल्स। जो कर्मचारी अपस्किल या रिस्किल नहीं कर पा रहे, उनके लिए अब नौकरी बचाना मुश्किल हो सकता है।
भारत का आईटी सेक्टर, जिसकी वैल्यू करीब $282 बिलियन (करीब ₹23 लाख करोड़) है, अब तक देश के सबसे बड़े संगठित रोजगार देने वालों में रहा है। लेकिन अब इस सेक्टर में लेऑफ (छंटनी) खुलकर की जा रही है। पहले इसे चुपचाप किया जाता था, अब कंपनियां इसे “इनवॉलंटरी एट्रिशन” कह रही हैं और खुलकर बयान भी दे रही हैं। Nasscom ने भी इस बदलाव को जरूरी बताया है और कहा है कि नई टेक्नोलॉजी के चलते अब पुराने स्किल्स की वैल्यू कम हो रही है, जिससे कंपनियों को वर्कफोर्स री-स्ट्रक्चर करनी पड़ रही है।
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KPIT Technologies के CEO किशोर पाटिल ने कहा, “अगर कोई नई स्किल नहीं सीख रहा है, तो वह हमारे लिए उपयोगी नहीं है।” उन्होंने कहा कि अब कंपनियां कॉलेज से हायरिंग और अनुभवी लोगों के चयन में भी “लर्नेबिलिटी” यानी सीखने की क्षमता पर ज़ोर दे रही हैं।
TCS ने हाल ही में 12,000 से ज़्यादा मिड और सीनियर मैनेजमेंट कर्मियों को हटाया है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने री-स्किलिंग की कोशिश की लेकिन सिर्फ 2% स्टाफ को ही दोबारा कहीं तैनात कर पाए।
Cognizant ने बताया कि अब उनकी कंपनी में 30% कोड मशीन जनरेट कर रही है, जो 6 महीने पहले 20% थी। अब इंजीनियर कोडिंग कम करते हैं, बल्कि AI को मॉनिटर करते हैं। मैनेजर्स को इंसान और AI दोनों को मिलाकर काम करवाना आता होना चाहिए। Cognizant के CEO रवि कुमार ने कहा, “अगर आप AI का इस्तेमाल नहीं करते, तो प्रोग्रामर होते हुए भी पीछे रह जाएंगे।”
Happiest Minds ने भी कहा कि वे अब सिर्फ वही कर्मचारी रखेंगे, जिनकी स्किल्स क्लाइंट की डिमांड से मेल खाती हैं। जो नहीं सीख रहे, उन्हें कंपनी छोड़नी पड़ेगी।
Pareekh Consulting के CEO परेख जैन ने कहा, “पहले इंडस्ट्री एक पिरामिड जैसी थी, जहां नीचे ज्यादा लोग होते थे। अब AI के कारण यह मॉडल डायमंड जैसी बन रही है, जहां मिड लेवल पर विशेषज्ञ ज्यादा होंगे और निचले स्तर पर कम।”
अब तक करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) आईटी प्रोफेशनल्स ने AI और GenAI की किसी न किसी लेवल पर ट्रेनिंग ले ली है। इनमें से 95,000 से ज्यादा लोग एडवांस सर्टिफाइड हैं, जिनमें AI क्लाउड, एम्बेडेड AI और एप्लाइड इंटेलिजेंस जैसे कोर्स शामिल हैं।