देश की दो दिग्गज आईटी कंपनियां—इंफोसिस (Infosys) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS)—वर्तमान समय में बिल्कुल अलग दिशा में आगे बढ़ रही हैं। जहां Infosys इस वित्त वर्ष के दौरान 20,000 फ्रेशर्स की भर्ती करने की तैयारी में है, वहीं TCS 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की प्रक्रिया को जुलाई-सितंबर तिमाही में पूरा करने जा रही है।
इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने द टाइम्स ऑफ इण्डिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि कंपनी ने पहली तिमाही में ही 17,000 से ज्यादा लोगों की भर्ती की है और पूरे साल में करीब 20,000 ग्रेजुएट्स को जोड़ने की योजना है।
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रीस्किलिंग में किए गए रणनीतिक निवेश से कंपनी को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिली है। अब तक Infosys ने विभिन्न स्तरों पर 2.75 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है।
एआई के प्रभाव पर बात करते हुए पारेख ने कहा, “AI से गहरी ऑटोमेशन और इनसाइट्स मिलती हैं, लेकिन यह उच्च स्तर की स्किल और ज्यादा मेहनत भी मांगता है।” उन्होंने बताया कि कंपनी AI-सक्षम काम करने वालों की संख्या लगातार बढ़ा रही है।
Infosys के मुताबिक, कोडिंग जैसे क्षेत्रों में AI के चलते 5% से 15% तक की उत्पादकता बढ़ी है, जबकि ग्राहक सेवा और नॉलेज-आधारित कामों में इससे और भी अधिक सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, कंपनी का बैंकिंग प्लेटफॉर्म ‘इंफोसिस फिनैकल’ ऑटोमेशन और मानव निगरानी के मेल से करीब 20% प्रोडक्टिविटी बढ़ा रहा है।
वेतन वृद्धि पर पारेख ने कहा कि बीते वित्त वर्ष की चौथी और इस वर्ष की पहली तिमाही के लिए सैलरी इनक्रिमेंट पूरा किया जा चुका है और अगली समीक्षा तय समय पर की जाएगी।
दूसरी ओर, TCS ने अपने कुल कर्मचारियों का 2%, यानी 12,000 से अधिक लोगों को हटाने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, यह छंटनी मुख्य रूप से जुलाई-सितंबर तिमाही में पूरी कर ली जाएगी।
जिन कर्मचारियों को फिलहाल “बेंच” पर रखा गया है यानी जिनकी कोई मौजूदा भूमिका नहीं है, उन्हें री-स्किल किया जा रहा है। हालांकि, यदि अगले छह महीनों में प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
इस छंटनी का सबसे ज्यादा असर मिड से सीनियर लेवल के उन कर्मचारियों पर पड़ रहा है, जिनका अनुभव 15-20 वर्षों के बीच है। ये कर्मचारी सालाना ₹35 लाख से ₹80 लाख तक का पैकेज ले रहे थे। कंपनी इन्हें तीन से पांच महीने की सैलरी के बराबर सेवरेंस पैकेज दे रही है।
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Infosys और TCS की ये रणनीतियां दिखाती हैं कि भारतीय आईटी सेक्टर किस तरह बदलते दौर से गुजर रहा है। एक ओर जहां AI और ऑटोमेशन को अपनाकर कंपनियां नए टैलेंट को मौका दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन और वर्कफोर्स रीडिजाइनिंग के चलते सीनियर प्रोफेशनल्स पर दबाव बढ़ रहा है।