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अटकते-भटकते अब परवान चढ़ रहा है इंदौर का नमकीन क्लस्टर, निर्यात को भी मिल सकता है दम

Indore Namkeen Cluster: नमकीन कारोबारियों के मुताबिक इंदौर में रोजाना 100 से 125 टन नमकीन बनती है। इसमें से 30 टन की खपत आसपास के इलाकों में ही हो जाती है।

Last Updated- September 22, 2024 | 8:58 PM IST
Indore's salty cluster is now gaining momentum after getting stuck and wandering अटकते-भटकते अब परवान चढ़ रहा है इंदौर का नमकीन क्लस्टर

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला इंदौर देश भर में अपने खास स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यहां की नमकीन और पोहा के दीवाने बड़ी संख्या में हैं। इंदौर के नमकीन उद्योग को संगठित रूप देने के लिए 12 साल पहले यहां नमकीन क्लस्टर बनाने की योजना बनी थी मगर लंबे इंतजार के बाद अब इस नमकीन क्लस्टर की योजना ने रफ्तार पकड़ी है।

साल भर में यह क्लस्टर पूरी तरह चालू होने की उम्मीद है। इस क्लस्टर के साथ ही इंदौर में अब बड़े उद्यमियों के लिए नमकीन फूड पार्क बनाने की योजना भी बनाई जा रही है। नमकीन कारोबारियों का कहना है कि नमकीन क्लस्टर और नमकीन फूड पार्क बनने से इंदौर का नमकीन उद्योग तेजी से बढ़ने की संभावना है। मगर उनका यह भी कहना है कि प्रदेश का नमकीन उद्योग बढ़ी हुई लागत का बोझ भी झेल रहा है।

2017 से कारखाने बनने शुरू हुए

इंदौर के नमकीन उद्यमी और मध्य प्रदेश नमकीन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग बोथरा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि छोटे उद्यमियों को एक जगह बसाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2012 में नमकीन क्लस्टर बनाने की घोषणा की थी। यह बात सही है कि शुरू में नमकीन क्लस्टर बनने में काफी देरी हुई, लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद से इस क्लस्टर में कारखानों के निर्माण में तेजी आई है। अब आधे से ज्यादा कारखाने चालू हो गए हैं और शेष कारखाने साल भर के भीतर बनकर चालू होने की उम्मीद है।

नमकीन क्लस्टर में 33 प्लॉट नमकीन उद्यमियों को आवंटित हुए थे। इस क्लस्टर में प्लॉट लेने वाले पंकज जैन कहते हैं कि सबसे पहले मैंने ही प्लॉट लिया था। अब यहां प्लॉट नहीं बचे है मगर हर कोई यहां प्लॉट लेना चाह रहा है। उस समय रजिस्ट्री खर्च के साथ कुल 40 लाख रुपये में प्लॉट मिल गया था। आज खरीदार एक करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं। इस क्लस्टर में प्लॉट के साथ दो बिल्डिंग भी बनी हैं। जिनमें एक बिल्डिंग में 3,000 वर्ग फुट के तीन और दूसरी में 500 से 800 वर्ग फुट के 25 फ्लैट हैं। इनको पहले किराये पर उद्यमियों को देने की योजना थी मगर इसमें कम लोगों के दिलचस्पी दिखान से अब सरकार इनको पट्टे पर देने जा रही है।

800 से 1000 करोड़ रुपये का उद्योग

इंदौर का नमकीन उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है। बोथरा कहते हैं कि इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 80 हजार से एक लाख लोग जुड़े होंगे। इंदौर में संगठित तौर पर 400 से अधिक नमकीन निर्माता हैं। असंगठित तौर पर 1,000 से अधिक लोग नमकीन बनाने का काम कर रहे हैं।

नमकीन कारोबारियों के मुताबिक इंदौर में रोजाना 100 से 125 टन नमकीन बनती है। इसमें से 30 टन की खपत आसपास के इलाकों में ही हो जाती है। बाकी दूसरे राज्यों को भेजी जाती है। नमकीन की कीमत 180 से 220 रुपये किलो है और नमकीन का सालाना कारोबार 800 से 1,000 करोड़ रुपये के बीच है। उन्होंने कहा कि यहां से विदेश में भी नमकीन का निर्यात किया जाता है। हालांकि इसकी मात्रा अभी कम है।

क्लस्टर से मिल रहा उद्योग को दम

नमकीन क्लस्टर में कारखाना चलाने वाले और महावीर सेव भंडार के संचालक पंकज जैन कहते हैं कि पहले हम लोग रिहायशी इलाकों के मकानों में नमकीन बनाते थे। तब उतनी बिक्री नहीं होती थी, जितनी अब होती है। पहले रोजाना 100 से 150 किलो ही नमकीन बनाते थे, अब 300 से 400 किलो बना लेते हैं। क्लस्टर बनने से नमकीन कारोबार के लिए एक प्लेटफार्म तैयाह हो गया है, जहां बहुत से लोग एक साथ काम कर रहे हैं। इसलिए खरीदार भी खूब आते हैं, जिससे सबको ऑर्डर मिल जाते हैं।

बोथरा भी मानते हैं कि क्लस्टर बनने से नमकीन कारोबार बढ़ रहा है। यहां नमकीन उद्यमियों को कारोबार करने में भी सहूलियत है। इंदौर के नमकीन उद्यमी और श्री गणगौर स्वीट्स के मालिक सुरेंद्र डाकलिया कहते हैं कि नमकीन क्लस्टर बनने से उद्यमियों के लिए कुछ खर्च भी कम हुए हैं जैसे एक साथ कच्चा माल एक जगह आने से भाड़ा कम लगता है। कारीगर भी एक ही जगह आसानी से मिल जाते हैं। बाहर माल भेजना भी आसान हुआ है। उद्यमियों को अब बिजली, पानी, सड़क जैसी अन्य मूलभूत सुविधाएं भी आसानी से मिल रही हैं।

निर्यात को भी मिल सकता है दम

क्लस्टर बनने से अब निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ रही है। बोथरा कहते हैं कि इस समय इंदौर से नमकीन का निर्यात बहुत अधिक नहीं हो रहा है मगर क्लस्टर बनने से इसकी संभावनाएं बढ़ गई हैं। पिछले साल भारत में हुए जी-20 समिट के बाद निर्यात के बारे में पूछताछ बढ़ रही है। अमेरिका, खाड़ी देश, ऑस्ट्रेलिया आदि को निर्यात बढ़ने की संभावना है।

पंकज जैन ने कहा कि अभी तक बड़े नमकीन निर्माताओं को तो फिर भी निर्यात के कुछ ऑर्डर मिल जाते हैं, लेकिन छोटे निर्माताओं को न के बराबर मिलते हैं। अब नमकीन क्लस्टर पूरी तरह से चालू होने के बाद विदेशी खरीदार भी आ सकते हैं। इससे इन उद्यमियों को भी निर्यात ऑर्डर मिलने की संभावना है।

लागत बढ़ी, महंगी हो सकती है नमकीन

नमकीन बनाने में उपयोग होने वाले कच्चे माल के दाम बढ़ने से इसकी लागत बढ़ गई है। बोथरा ने कहा कि नमकीन बनाने में उपयोग होने वाले बेसन, आलू, काजू, लहसुन, मूंगफली आदि की कीमत बढ़ने से इसकी लागत 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है। लागत बढ़ने के अनुरूप नमकीन के दाम 15 से 20 रुपये किलो बढ़ने चाहिए मगर अभी दाम नहीं बढ़े हैं। आगे दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं। डाकलिया ने कहा कि दीवाली तक दाम बढ़ने की संभावना कम है, लेकिन इसके बाद बढ़ाने पड़ेंगे। जैन का कहना है कि नमकीन के दाम कम से कम 10 रुपये प्रति किलो बढ़ाने की जरूरत है।

नमकीन पार्क बनाने की जरूरत

छोटे उद्यमियों के लिए तो नमकीन क्लस्टर बन गया है, लेकिन अब बड़े उद्यमी भी नमकीन पार्क बनाने की मांग कर रहे हैं। बोथरा ने कहा कि नमकीन क्लस्टर में सबसे बड़ा प्लॉट 7,500 वर्ग फुट का है। इतने में बड़े उद्यमियों का काम नहीं चल सकता है। बड़े उद्यमियों के लिए कम से कम एक एकड़ जगह की जरूरत है। इसलिए सरकार को इन उद्यमियों के लिए 100 से 150 एकड़ जमीन में एक नमकीन पार्क बनाने की जरूरत है।

डाकलिया कहते हैं कि सरकार इंदौर में नमकीन फूड पार्क बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसमें लैबोरेटरी, कॉमन फैसिलिटी सेंटर, निर्यात आदि की सुविधाएं मिलनी चाहिए। साथ ही उद्यमियों को जमीन व करों में भी छूट मिलनी चाहिए।

First Published - September 22, 2024 | 8:58 PM IST

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