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विनिर्माण और हॉस्पिटैलिटी उद्योग ने GST भुगतान तंत्र और ITC पर सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

विनिर्माण और हॉस्पिटैलिटी उद्योग ने सीबीआईसी अधिकारियों से जीएसटी भुगतान तंत्र, इनपुट टैक्स क्रेडिट और बढ़ी दरों पर राहत देने की मांग की

Last Updated- September 11, 2025 | 10:36 PM IST
GST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

विनिर्माण और हॉस्पिटैलिटी उद्योग ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड के अधिकारियों के साथ गुरुवार को हुई बैठक में सरकार व उससे संबंधित प्राधिकरणों के अनुबंध कार्यों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतान के विशेष तंत्र से लेकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) स्पष्टीकरण तक के मुद्दे उठाए। यह बैठक केंद्र के जीएसटी की दरों में बदलाव की बीते सप्ताह हुई घोषणा के बाद हुई है। दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अप्रत्यक्ष कर सुधारों को आगे बढ़ाने की पहल के तहत जीएसटी में सुधार को आगे बढ़ाया है।

इस बैठक में शामिल सूत्रों के मुताबिक विनिर्माण उद्योग ने इस बदलाव का स्वागत किया लेकिन सरकार से संबंधित कार्यों के ठेकों के जीएसटी भुगतान की अनुमति देने के विशेष तंत्र या कुछ अन्य विशेष तंत्र के साथ जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने का अनुरोध किया। उद्योग के विशेषज्ञों ने बताया कि इस मामले में आपूर्ति का समय व्यावहारिक मुद्दा है। इसका कारण यह है कि सरकारी विभागों के बही खातों के अनुसार कार्य करने के बिल बनाए जाते हैं। उन्होंने बताया, ‘ठेकेदारों को इनवॉयस के भुगतान में व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस भुगतान में देरी होती है। ज्यादातर सरकारी विभाग काम पूरा होने के बाद बिलों के भुगतान में देरी होती है। उद्योग ने अर्थ वर्क पर जीएसटी की दरें कम करने के लिए कहा है। दरअसल विनिर्माण गतिविधियों का हिस्सा अर्थ वर्क होते हैं। इस पर पहले 12 प्रतिशत की तुलना में 18 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर से कर लगाया जाना है।

बिल्डर्स एसोसिएशन के एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अर्थ वर्क की प्रकृति में कोई बड़ा आईटीसी शामिल नहीं है। यह सब सरकार से संबंधित कार्यों से जुड़ा है। दरअसल 18 प्रतिशत पर जीएसटी के भुगतान में सरकार और उसके अधिकारियों से बिलों की प्राप्ति तक कार्यशील पूंजी का अवरोध होता है। उन्होंने कहा कि इस निकाय ने दर को 5 प्रतिशत स्लैब दर श्रेणी में लाने का अनुरोध किया।

हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र ने भी जीएसटी परिषद के 7,500 रुपये से कम कीमत वाले कमरों के लिए 5 प्रतिशत स्लैब से इनपुट टैक्स क्रेडिट को हटाने के फैसले से संबंधित कई मुद्दे उठाए। इनपुट टैक्स क्रेडिट हटाने से नई जीएसटी दरों के कार्यान्वयन में बाधाएं आ सकती हैं।  आईटीसी लाभों को हटाने से वास्तव में मध्य-श्रेणी के होटल श्रेणी में निवेश और विस्तार को हतोत्साहित किया जा सकता है, यहां तक कि कुछ को कीमतें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि उद्योग ने पहले से ही बुक्स पर उपलब्ध आईटीसी पर भी  स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने कहा कि ग्राहकों से प्राप्त अग्रिम भुगतानों पर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

First Published - September 11, 2025 | 10:36 PM IST

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