भारत सरकार ने विदेशी निवेश नियमों में ढील देने का मसौदा तैयार किया है, जिसके तहत अमेजन जैसी ईकॉमर्स कंपनियां भारतीय विक्रेताओं से सीधे उत्पाद खरीदकर विदेशों में ग्राहकों को बेच सकेंगी। यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में दी गई है।
फिलहाल भारत में विदेशी ईकॉमर्स कंपनियों को सीधे उपभोक्ताओं को सामान बेचने की अनुमति नहीं है — न घरेलू स्तर पर, न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर। वे केवल मार्केटप्लेस के रूप में काम कर सकती हैं और खरीदारों व विक्रेताओं को जोड़कर कमीशन ले सकती हैं।
यह प्रतिबंध वर्षों से नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच विवाद का कारण रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन लंबे समय से सरकार से निर्यात क्षेत्र में इस ढील की मांग कर रहा था।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के 10-पृष्ठ के मसौदे के अनुसार, भारत के 10 प्रतिशत से भी कम छोटे कारोबार (जो घरेलू स्तर पर ऑनलाइन बेचते हैं) वैश्विक ईकॉमर्स निर्यात में शामिल हो पाते हैं। वजह है जटिल दस्तावेजीकरण और अनुपालन का बोझ।
मसौदे में कहा गया है, “प्रस्तावित मॉडल में ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ी एक समर्पित निर्यात इकाई अनुपालन संभालेगी।” इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी।
अमेजन का कहना है कि उसने 2015 से भारतीय विक्रेताओं को कुल 13 अरब डॉलर का निर्यात कराने में मदद की है और 2030 तक इसे 80 अरब डॉलर तक ले जाने की योजना है।
हालांकि, छोटे खुदरा विक्रेताओं के संगठन सरकार से इस कदम को न मानने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि अमेजन जैसी कंपनियों की वित्तीय ताकत उनके कारोबार को नुकसान पहुंचा सकती है।
DGFT के मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि यह ढील सिर्फ निर्यात पर लागू होगी। नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना और आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पिछले साल भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजन पर कुछ विक्रेताओं को तरजीह देने का आरोप लगाया था। कंपनी ने इस आरोप से इनकार किया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)