केंद्र सरकार ने दो अनिवार्यताओं की तिथि बढ़ा दी है, जिससे देश में और कोयले का आयात करना होगा। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने दो अलग अलग नोटिस में आयातित कोयला पर आधारित (आईसीबी) इकाइयों को जून 2024 तक चलाने और सभी बिजली उत्पादन कंपनियों को मार्च 2024 तक 6 प्रतिशत आयातित कोयले का इस्तेमाल करने को कहा है। बिजली की बढ़ती मांग और कोयले की घरेलू आपूर्ति ज्यादा न होने की स्थिति को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है।
मंत्रालय ने बिजली अधिनियम 2023 की धारा 11 को लागू करते हुए सभी आईसीबी को एक बार फिर निर्देश दिया है कि वह अपनी 17 गीगावॉट कुल क्षमता के मुताबिक बिजली का उत्पादन और परिचालन जारी रखें। मंत्रालय ने मूल रूप से यह अनिवार्यता फरवरी 2023 में की थी, जिसकी तिथि पहले जून तक और बाद में अक्टूबर तक के लिए बढ़ाई गई।
मूल आदेश में कहा गया है, ‘अनुमानित मांग के मुताबिक बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आईसीबी बिजली संयंत्रों से उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। इसी के मुताबिक व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए आईसीबी संयंत्रों से बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए बिजली अधिनियम 2003 की धारा 11 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं कि सभी आईसीबी संयंत्र अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक परिचालन और बिजली का उत्पादन करें।’
अपने हाल के आदेश में बिजली मंत्रालय ने बिजली की बढ़ी मांग, घरेलू कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन कम होने का हवाला देते हुए जून 2024 तक के लिए आदेश की तिथि बढ़ा दी है। एक अन्य नोटिस में बिजली मंत्रालय ने सभी बिजली उत्पादन कंपनियों से कोयला आयात करने और अपने कुल कोयला जरूरत का 6 प्रतिशत आयातित कोयले का इस्तेमाल करने को कहा है। पिछले साल बिजली उत्पादन कंपनियों को 10 प्रतिशत आयातित कोयला मिलाने को कहा गया था। उसके बाद उत्पादन कंपनियों के लिए यह स्वैच्छिक बना दिया गया था।