आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर 3.5 प्रतिशत रह गई है। यह इसका छह महीने का निचला स्तर है। शुरुआती छह महीनों में पहली बार प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में गिरावट आई है और कच्चे तेल के उत्पादन में निरंतर 11वें महीने गिरावट आई है। बिजली क्षेत्र में लगातार दूसरे महीने अप्रैल में गिरावट (-1.4) आई और इसमें बेमौसम बारिश की भूमिका रही।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस बिजली क्षेत्र में गिरावट के बारे में कहा, ‘इससे औद्योगिक गतिविधियां का कम होना प्रदर्शित होता है। आर्थिक गतिविधियां कम होने के कारण मांग में गिरावट आई। देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक विषम मौसम की स्थितियां होने के कारण घरेलू मांग में गिरावट आई। बमौसम बारिश ने गर्मी कम करने के लिए ठंडा करने की जरूरत को कम कर दिया जबकि अत्यधिक मांग के कारण मांग तेजी से बढ़ी। ’
उद्योग मंत्रालय के बुधवार को जारी आंकड़े के मुताबिक अप्रैल में सबसे ज्यादा मांग में उछाल रसायन में 23.5 फीसदी आया। इस आलोच्य अवधि में स्टील उत्पादन (12.1 प्रतिशत), सीमेंट उत्पादन (11.6 प्रतिशत) और कोयला उत्पादन (9 फीसदी) बढ़े।
आठ प्रमुख उद्योगों (आईसीआई) में जनवरी, 2023 को दर्ज अंतिम वृद्धि 9.7 फीसदी दर्ज की गई थी। साल 2022-23 में बीते साल की तुलना में आईसीआई की वृद्धि दर 7.7 फीसदी (अनंतिम) दर्ज हुई थी। आठ बुनियादी उद्योगों के सूचकांक में आधारभूत क्षेत्र कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, रसायन, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली का उत्पादन शामिल होता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में इन क्षेत्रों का भारांश 40 फीसदी है। सबनवीस ने कहा, ‘ऑयल बॉस्केट : कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों में गिरावट से यह उजागर होता है कि मांग कम है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम कम रहने का रुझान रहने के कारण इसके आयात को प्राथमिकता दी जा रही है और घरेलू स्तर पर कच्चे तेल का उत्पादन कम हो रहा है। इन आंकड़ों के आधार पर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्धि दर 2 से 3 फीसदी के दायरे में रहेगी।’
केयर एज के मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि आमतौर पर सरकार (केंद्र और राज्यों) ने पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना जारी रखा। इससे स्टील और सीमेंट उद्योग को मदद मिली। आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने के कारण बिजली की मांग बढ़ी। इस मांग को पूरा करने के लिए तापीय बिजली संयंत्रों को अधिक कोयले की जरूरत पड़ी।’