भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दीवाला संहिता (आईबीसी) के तहत मामलों के समाधान में देरी से जुड़े मसलों को उठाते हुए इसमें आगे कुछ सुधारों पर जोर दिया।
सेंटर फॉर एडवांस्ड फाइनैंशियल रिसर्च ऐंड लर्निंग की ओर से मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में गवर्नर ने कहा कि आईबीसी की व्यापक आलोचना समाधान में हो रही देरी और और ऋणदाताओं को बकाया वसूली पर होने वाले नुकसान को लेकर हो रही है।
समाधान में बहुत ज्यादा देरी होने से संपत्ति मूल्य में क्षरण हो जाता है। संहिता के मुताबिक कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में समाधान 180 दिन में होना चाहिए, जिसमें अपवाद के मसलों में 90 दिन तक का वक्त और दिया जा सकता है।
बहरहाल भारतीय दीवाला और ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2023 तक चल रहे सीआरआईपी मामलों में 67 प्रतिशत में 270 दिन से ज्यादा हो चुके हैं, जिसमें विस्तार की 90 दिन की अवधि शामिल है। चिंता की बात यह है कि वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में मामले को स्वीकार करने में क्रमशः 468 और 650 दिन लगे।