जनवरी में लगातार दूसरे महीने मासिक नई औपचारिक भर्तियों की संख्या में कमी आई है। इससे श्रम बाजार में औपचारिक रोजगार की कमी के संकेत मिलते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से गुरुवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जनवरी में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या करीब 3 प्रतिशत घटकर 8,23,000 रह गई है, जो दिसंबर में 8,86,734 थी।
ईपीएफओ के आंकड़ों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे औपचारिक श्रम बाजार की स्थिति का पता चलता है और केवल औपचारिक कर्मचारियों को ही सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है और उन्हें श्रम कानूनों से संरक्षण मिलता है।
पिछले साल जनवरी में कुल 8,07,865 नए सबस्क्राइबर ईपीएफ में शामिल हुए थे।
इस साल जनवरी में शामिल कुल 8,23,000 नए ईपीएफ सबस्क्राइबरों में 18 से 25 साल उम्र के युवाओं की हिस्सेदारी मामूली घटकर 57.07 प्रतिशत (4,70,000) रह गई है, जो इसके पहले महीने में 57.28 प्रतिशत (4,85,066) थी। यह महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इस आयु वर्ग के लोग सामान्यतया श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश करते हैं, जिससे तेजी का पता चलता है।
बहरहाल नए सबस्क्राइबरों में महिलाओं की हिस्सेदारी भी जनवरी में घटकर 25.62 प्रतिशत (2,17,000) रह गई है, जो दिसंबर में 26.2 प्रतिशत (2,21,917) थी। हालांकि शुद्ध पेरोल के आंकड़े, जिसमें सामाजिक सुरक्षा संगठन में आए नए सबस्क्राइबर, बाहर हुए सबस्क्राइबर और वापस आए पुराने सबस्क्राइबर शामिल होते हैं, दिसंबर में 17.9 लाख रहे।
बहरहाल शुद्ध मासिक पेरोल के आंकड़े अनंतिम प्रकृति के होते हैं और अक्सर अगले महीने में इसमें तेज बदलाव होता है। यही वजह है कि नए ईपीएफ सबस्क्राइबर के आंकड़ों को ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘उपरोक्त पेरोल आंकड़े अनंतिम प्रकृति के हैं, क्योंकि आंकड़े जुटाना और कर्मचारियों का रिकॉर्ड अद्यतन करना एक सतत प्रक्रिया है। पहले के आंकड़े अद्यतन हो जाते हैं।’