facebookmetapixel
सीतारमण बोलीं- GST दर कटौती से खपत बढ़ेगी, निवेश आएगा और नई नौकरियां आएंगीबालाजी वेफर्स में 10% हिस्सा बेचेंगे प्रवर्तक, डील की वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये तकसेमीकंडक्टर में छलांग: भारत ने 7 नैनोमीटर चिप निर्माण का खाका किया तैयार, टाटा फैब बनेगा बड़ा आधारअमेरिकी टैरिफ से झटका खाने के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ पर नजर टिकाए कोलकाता का चमड़ा उद्योगबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछालGST कटौती से व्यापारिक चुनौतियों से आंशिक राहत: महेश नंदूरकरभारतीय IT कंपनियों पर संकट: अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने उठाई आउटसोर्सिंग रोकने की मांग, ट्रंप से कार्रवाई की अपीलBRICS Summit 2025: मोदी की जगह जयशंकर लेंगे भाग, अमेरिका-रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश में भारतTobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहेंसाल 2025 में सुस्त रही QIPs की रफ्तार, कंपनियों ने जुटाए आधे से भी कम फंड

सहकारी चीनी मिलों को एथेनॉल में होगा बड़ा फायदा, लेकिन प्राइवेट मिलों के लिए खतरे की घंटी!

2024-25 में एथेनॉल आपूर्ति के लिए सहकारी चीनी मिलों को प्राथमिकता, निजी मिलों पर असर

Last Updated- December 18, 2024 | 10:06 PM IST
ethanol production

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने नवंबर से शुरू हुए आपूर्ति वर्ष 2024-25 में 88 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए अपने ताजा निविदा में पहली बार यह फैसला किया है कि सहकारी चीनी मिलों से उत्पादित एथेनॉल को प्राथमिकता दी जाएगी।

यह सहकारी चीनी मिलों के लिए सकारात्मक है, जिनकी 2023-24 सीजन में उत्पादित करीब 3.2 करोड़ टन चीनी में 30 फीसदी हिस्सेदारी रही है, लेकिन यह निजी मिल मालिकों के लिए थोड़ा नुकसानदेह हो सकता है। पहली निविदा में 9.16अरब लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए बोली मिली थी, जिसमें 8.37 अरब लीटर की बोली स्वीकार की गई। बहरहाल खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज संसद में कहा कि 2024-25 सत्र में 13 दिसंबर तक गन्ने का कुल 11,141 करोड़ रुपये भुगतान होना था, जिसमें से 2024-25 के पहले 70 दिनों में किसानों को 8,126 करोड़ रुपये भुगतान किया जा चुका है।

साथ ही इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले 5 वित्त वर्ष में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 24.3 फीसदी बढ़ा है, जबकि इस दौरान डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक 21.8 फीसदी बढ़ा है। इसी अवधि के दौरान गन्ने की कीमत 26 फीसदी बढ़ी है, जबकि चीनी की कीमत सिर्फ 13 फीसदी बढ़ी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक विरोधाभास है, जहां कच्चे माल की थोक कीमतें अंतिम उत्पाद की कीमतों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी हैं। उप-उत्पादों की स्थिति देखें तो पिछले 5 वर्षों में मोलैसिस की कीमतों में 45.7 फीसदी वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण एथेनॉल कार्यक्रम में मोलैसिस का बढ़ता उपयोग है।

इन्फोमेरिक्स ने कहा कि चीनी की कीमत में सुस्त वृद्धि की वजह यह है कि न्यूनतम बिक्री मूल्य के माध्यम से इस पर नियंत्रण होता है, जिसमें 2019 के बाद कोई बदलाव नहीं किया गया है।

First Published - December 18, 2024 | 10:06 PM IST

संबंधित पोस्ट