विमान कंपनी इंडिगो को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 986.7 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। महंगे ईंधन, हवाई अड्डों का शुल्क बढ़ने, विमानों के ठप होने, पट्टे का खर्च बढ़ने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कम कमाई होने कंपनी को घाटा उठाना पड़ा है।
देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी सात तिमाही तक मुनाफा कमाने के बाद घाटे में गई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में इंडिगो को 1,583.3 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
निवेशकों के साथ बातचीत के दौरान इंडिगो के मुख्य वित्त अधिकरी गौरव नेगी ने कहा कि सितंबर तिमाही में कंपनी के करीब 75 विमान ठप पड़े थे मगर इंजन विनिर्माता प्रेट ऐंड व्हिटनी के साथ बातचीत के बाद अब ऐसे विमानों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘अब हमारे ठप विमानों की संख्या 70 से कम रह गई हैं। मूल उपकरण विनिर्माता के साथ हमारी बातचीत के आधार पर हम उम्मीद कर रहे हैं कि साल के अंत तक बंद पड़े विमानों की संख्या घटकर 60-65 के बीच रह सकती है और अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक बंद पड़े विमानों की संख्या 40 के आसपास रह सकती है।’
सितंबर 2023 में प्रेट ऐंड व्हिटनी ने कहा था कि उनके इंजन में पाउडर मेटल की खामी हो सकती है जिससे कलपुर्जे क्रैक हो सकते हैं। प्रेट ऐंड व्हिटनी द्वारा इस नई समस्या की जांच पूरी होने तक इंडिगो ने करीब 35 विमानों को उड़ाना बंद कर दिया था। इससे पहले भी टर्बोफैन में गड़बड़ी के कारण इंडिगो को करीब 40 विमानों को खड़ा करना पड़ा था।
इंडिगो को क्षमता बढ़ाने के लिए विदेशी विमान कंपनियों से विमानों को पट्टे पर लेना पड़ा। इसकी वजह से कंपनी की अन्य लागत भी बढ़ गई। नेगी ने कहा कि हवाई अड्डों का वार्षिक अनुबंध शुल्क भी बढ़ गया है, जिससे कंपनी को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही में इंडिगो का ईंधन संबंधी खर्च 12.8 फीसदी बढ़कर 6,605.2 करोड़ रुपये रहा।
नेगी ने कहा, ‘बुनियादी ईंधन का खर्च साल-दर-साल घटी है मगर खपत बढ़ने, कुछ राज्यों में विमानन ईंधन पर मूल्य वर्धित कर बढ़ाए जाने और प्रमुख हवाई अड्डों पर विमानों की भीड़ बढ़ने से कुल ईंधन लागत बढ़ गई है।’
इंडिगो के मुख्य कार्याधिकारी पीटर एल्बर्स ने भी हवाई अड्डों पर विमानों के जमावड़े को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, ‘बनियादी ढांचा बढ़ाने पर कई प्रयास किए गए हैं मगर दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर इस स्तर के बुनियादी ढांचे को तैयार करने में अभी थोड़ा समय लगेगा। इसका असर विमानों के परिचालन प्रदर्शन के साथ-साथ इन हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने पर भी पड़ेगा।’
मुंबई हवाई अड्डे के पास और विस्तार के लिए जगह नहीं है और उसका रनवे पूरी क्षमता से काम कर रहा है। इस साल जून में दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 के बाहर की छत ढहने के बाद इस टर्मिनल से विमानों का परिचालन बंद कर दिया गया था। हालांकि सितंबर से टर्मिनल 1 के कुछ हिस्सों को खोला गया है मगर बड़े हिस्से में अभी भी काम चल रहा है।