टाटा मोटर्स (Tata Motors), JBM ऑटो और PMI इलेक्ट्रो समेत भारत के बड़े बस निर्माताओं ने करीब 5,000 इलेक्ट्रिक बसों (E-Buses) की सप्लाई के लिए नए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के लिए बोली नहीं लगाई है। तीन सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि इन निर्माताओं को आशंका है कि उन्हें समय पर भुगतान नहीं मिल पाएगा।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि कुछ कंपनियां निविदा दस्तावेजों में नए श्रम संबंधित क्लॉज की वजह से भी दूरी बनाए हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अगले कुछ वर्षों के दौरान पूरे देश में 50,000 इलेक्ट्रिक बसें पेश करना चाहती है, जिसकी लागत 12 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। इसके लिए, राज्य सरकारों से मांग बढ़ रही है और कॉन्ट्रैक्ट या निविदाओं में तेजी आ रही है। करीब 11,000 इलेक्ट्रक बसों के लिए पहली दो निविदाओं में सरकार को TATA, JBM, अशोक लीलैंड, PMI इलेक्ट्रो और ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक समेत प्रमुख बस निर्माताओं से बोलियां मिलीं।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि हालांकि अभी तक भुगतान को लेकर कोई समस्या नहीं हुई है, लेकिन राज्य परिवहन निगमों ने शुरू में (जब तेल-गैस इंजन वाहनों की खरीद की गई थी) बस निर्माताओं को भुगतान में विलंब किया था।
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उद्योग और सरकारी अधिकारियों ने बताया कि 4,675 बसों के लिए तीसरी निविदा जनवरी में खुली थी और इस सप्ताह बंद हुई, लेकिन सिर्फ एक भारतीय EV स्टार्टअप एका मोबिलिटी के स्वामित्व वाली पिनेकल इंडस्ट्रीज से ही बोलियां मिलीं। टाटा मोटर्स, JBM ऑटो, PMI इलेक्ट्रो और एका मोबिलिटी ने इस संबंध में प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया है।