भारत का आईटी उद्योग नकदी के ढेर पर बैठा है मगर अपनी कमाई को नई परियोजनाओं या अधिग्रहण में लगाने का बहुत इच्छुक नहीं रहा है। वह मुनाफे का बड़ा हिस्सा लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के जरिये शेयरधारकों को वितरित करता रहा है। पिछले दस वर्षों में भारत की शीर्ष आईटी कंपनियों ने अपने परिचालन से प्राप्त नकदी का केवल 13.5 फीसदी विकास और विस्तार में निवेश किया है जबकि नकद मुनाफे का औसतन 73 फीसदी लाभांश और पुनर्खरीद के जरिये शेयरधारकों को वापस कर दिया गया है।
वित्त वर्ष 2016 से अभी तक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नॉलजीज और टेक महिंद्रा ने कुल मिलाकर तकरीबन 8.9 लाख करोड़ रुपये का नकद मुनाफा कमाया मगर उन्होंने इस अवधि के दौरान केवल 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन निवेश में भूमि और इमारत, कार्यालय उपकरण, संयंत्र और मशीनरी जैसी भौतिक संपत्तियों और पेटेंट तथा अन्य तकनीकी परिसंपत्तियां शामिल है। दूसरी ओर शेयरधारकों ने पिछले 10 वर्षों में इन शीर्ष पांच आईटी कंपनियों से कुल मिलाकर करीब 6.46 लाख करोड़ रुपये कमाए।
दूसरे शब्दों में कहें तो आईटी उद्योग ने अपने व्यवसाय में दोबारा किए गए प्रत्येक 1 रुपये के निवेश पर अपने शेयरधारकों को 5 रुपये का भुगतान किया है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2025 में इन शीर्ष 5 आईटी कंपनियों ने कुल मिलाकर अपने शेयरधारकों को लगभग 91,600 करोड़ रुपये का इक्विटी लाभांश दिया जो उनके नकद मुनाफे का 76.2 फीसदी है। इसकी तुलना में उन्होंने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 9,650 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो उनके नकद लाभ का 8 फीसदी है।
आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड के बाद की अवधि में आईटी उद्योग में शेयरधारकों के भुगतान में तेजी आई है जबकि निवेश और अधिग्रहण पर खर्च थोड़ा धीमा हो गया है। वित्त वर्ष 2021 से 2025 के दौरान संपत्तियों पर निवेश घटकर कुल नकद लाभ का औसतन 6.7 फीसदी रह गया जबकि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 की अवधि के दौरान यह औसतन 22 फीसदी था। महामारी के बाद की अवधि के दौरान उद्योग की आय में उछाल का सबसे बड़ा फायदा शेयरधारकों को हुआ। वित्त वर्ष 2021 से 2025 के दौरान नकद मुनाफा और लाभांश भुगतान का अनुपात बढ़कर 76.7 फीसदी हो गया।
स्वाभाविक रूप से या विदेशी अधिग्रहणों के माध्यम से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में आईटी उद्योग के निवेश में कमी आई है क्योंकि इस क्षेत्र की कंपनियों को वृद्धि के लिए अब संघर्ष करना पड़ रहा है। उद्योग की अग्रणी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अपने वैश्विक ग्राहकों से नए ऑर्डर में मंदी के बीच मार्जिन को मजबूत करने की कवायद के तहत वैश्विक स्तर पर अपने कुल श्रमबल के 2 फीसदी यानी लगभग 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है। इससे अन्य आईटी कंपनियों में भी छंटनी का डर बढ़ गया है।