निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) शीर्ष 100 कंपनियों तक पहुंचा है ताकि अपने शेयरों का दावा करने की कोशिश कर रहे व्यक्तियों के लिए जरूरी दस्तावेजी प्रक्रिया को कम किया जा सके। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
हाल ही में अदाणी-हिंडनबर्ग मामले पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के इन दावों को मंजूरी देने में आईईपीएफए के सामने पेश आने वाली क्षमता की कमी जैसे मसलों को उठाया था।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारी तत्काल प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि जिन निवेशकों के आवेदन को एक साल पहले मंजूर किया गया था, लेकिन अब तक स्थानांतरण नहीं हुआ है, उनके दावों को पहले निपटाया जाए। हम जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी सभी शिकायतों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
आईईपीएफए के पास तकरीबन 5,000 कंपनियों (ऊपर जिन शीर्ष 100 फर्मों का उल्लेख किया गया है, वे इन्हीं का हिस्सा हैं) के बिना दावे वाले शेयर हैं, जिनमें से ज्यादातर रिलायंस समूह से संबंधित हैं। इन शेयरों के संबंध में दावा करना लंबी प्रक्रिया है, जिसमें विस्तृत दस्तावेज प्रक्रिया और पुन: सत्यापन शामिल है।
साथ ही आईईपीएफए ने निवेशकों से कहा है कि वे इन दावों को पेश करने के लिए कोई पेशेवर मदद न लें क्योंकि सरकार को इस बात की चिंता है कि क्षेत्र में जांच और नियंत्रण की कमी के कारण बेईमान एजेंट लोगों से मोटा कमीशन वसूलकर हालात का फायदा उठा सकते हैं।
हालांकि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या दावेदारों को दस्तावेज और अन्य प्रक्रियाओं में मदद करने के लिए पेशेवर मदद की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। आईपीईएफए जल्द ही लोगों की मदद के लिए पांच क्षेत्रीय सेवा केंद्र या सहायता केंद्र भी शुरू कर रहा है।
फिलहाल प्राधिकरण को जिन बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें से एक है श्रमशक्ति की कमी, जो अक्सर ही इसके शिकायत निवारण तंत्र को धीमा कर देती है।
जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में घोषणा की थी, एक सरकारी एजेंसी तकनीकी गड़बड़ियों को हल करने के लिए एक एकीकृत आईटी पोर्टल विकसित कर रही है। यह पोर्टल दिसंबर 2023 तक पेश किए जाने की उम्मीद है। पोर्टल उन कई अन्य प्रणालियों के साथ तालमेल करेगा, जो बिना भुगतान वाले लाभांश का दावा करने की प्रक्रिया में शामिल हों। इनमें सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड और नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड आदि शामिल हैं।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में विभिन्न तकनीकी प्लेटफार्मों में तालमेल की कमी को मसले के रूप में चिह्नित किया गया था। इससे विभिन्न विभागों के बीच काफी भाग-दौड़ करनी पड़ती है और दस्तावेजों की हार्ड कॉपी जमा करानी पड़ती है, जिससे देर होती है तथा प्रक्रिया जटिल होती है।
आईईपीएफए की स्थापना कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 125 के तहत निवेशक, शिक्षा, जागरूकता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है।