आईडीबीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) अपनी परिसंपत्तियां भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एएमसी के साथ विलय कराने के लिए तैयार है। इसे लेकर चर्चाएं अंतिम चरण में हैं और इसे लेकर बातचीत एलआईसी के आईपीओ से पहले निर्णय लिया जाएगा।
एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक का अधिग्रहण किए जाने के बाद जीवन बीमा निगम दो एएमसी की प्रायोजक बन गई है, जिसकी अनुमति बाजार नियामक सेबी के म्युचुअल फंड नियमों के तहत नहीं दी गई है। यह समस्या एलआईसी आईपीओ के लिए नियामकीय मंजूरी की राह में बाधक बन सकती है। आईडीबीआई एएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह विलय एलआईसी एएमसी और आईडीबीआई एएमसी दोनों में एलआईसी की शेयरधारता की वजह से आवश्यक है। इस शेयरधारिता की वजह से आईपीओ के संदर्भ में शेयरधारिता मानकों का उल्लंघन होता है।’
इस विलय के बाद, आईडीबीआई एएमसी (जिसकी मौजूदा समय में एयूएम 4,344 करोड़ रुपये की हैं) का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। एलआईसी एमएफ की एयूएम 18,040 करोड़ रुपये है। दूसरी तरफ, आईडीबीआई एएमसी के कर्मचारी रोजगार छिन जाने की आशंका से इसका विरोध कर रहे हैं।
आईडीबीआई एएमसी के कर्मचारियों ने एलआईसी के चेयरमैन को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्हें नई इकाई में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए या आईडीबीआई बैंक में खपाया जाना चाहिए।
सेबी नियमों के तहत प्रायोजक को किसी एक से ज्यादा एएमसी में 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखने की अनुमति नहीं है। अधिकारी ने कहा कि एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक के विनिवेश से पहले आईडीबीआई एएमसी की परिसंपत्तियां खरीदने की योजना बनाई है। आईडीबीआई एएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा, उन कंपनियों से परिसंपत्ति प्रबंधन व्यवसाय में अच्छी दिलचस्पी देखी जा रही है, जो अपने एएमसी व्यवसाय स्थापित करने को उत्साहित हैं। इसलिए, आईडीबीआई एएमसी जैसी कंपनियों के लिए खुले बाजार में खरीदारी सरकारी खजाने का मूल्यांकन बढ़ेगा।’
